
मुनिसुव्रत जन्मस्थली, राजगृही धाम है। 
तीर्थंकर मुनिसुव्रत प्रभु की, जन्मभूमि है राजगृही। 
काश्मीरी केशर घिसकर, जिनवर पद में चर्चन कर लूँ। 


बेला आदि पुष्प में ही, मैं दिव्य पुष्प कल्पना करूँ। 
कल्पवृक्ष के भोजन की, कल्पना करूँ नैवेद्य बना। 




मीठे सुस्वादू फल मैंने, जाने कितने खाये हैं। 





हे नाथ! तेरी जन्मभूमि को प्रणाम है।