एक शिला में निर्मित विश्व की विशालतम मूर्ति श्रवणबेलगोला (कर्नाटक) स्थित भगवान् गोम्मटेश बाहुबली की है। गणतंत्र दिवस समारोह परेड में २६ जनवरी, २००५ को नई दिल्ली के राजपथ पर कर्नाटक सरकार द्वारा आयोजित भगवान् गोम्मटेश वाली झाँकी को प्रथम पुरस्कार मिला था। श्रवणबेलगोला गोम्मटेश बाहुबली की निकाली गई भव्य झाँकी को सलामी देते हुए महामहिम राष्ट्रपति डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम साथ में उपराष्ट्रपति श्री भैरोंसिंह शेखावतजी। मैं ही नहीं, सारा राष्ट्र जैन है। बात फरवरी, १९८१ की है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरागाँधी श्रवणबेलगोला में भगवान बाहुबली महामस्तकाभिषेक समारोह के अवसर पर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित कर दिल्ली लौट आर्इं थीं। संसद में बहस के दौरान कुछ संसद सदस्यों ने उनकी इस यात्रा पर आपत्ति की तो श्रीमती गाँधी ने कहा—‘‘मैं भारतीय विचारों की एक प्रमुख धारा के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने वहाँ गई थी जिसने भारतीय इतिहास व संस्कृति पर गहरा प्रभाव छोड़ा है और स्वतन्त्रता संग्राम में अपनाए गए तरीके भी इससे प्रभावित हुए हैं। गाँधीजी भी जैन तीर्थंकरों द्वारा प्रतिपादित अहिंसा व अपरिग्रह के सिद्धान्तों से प्रभावित हुए।’’ इस पर एक संसद ने व्यंग्य करते हुए प्रश्न किया कि क्या आप जैन हो गई हैं ? तब श्रीमती गाँधी ने गर्जना के साथ उत्तर दिया—केवल मैं ही नहीं, सारा राष्ट्र जैन है, क्योंकि हमारा राष्ट्र अहिंसावादी है और जैनधर्म अहिंसा में विश्वास रखता है। जैनधर्म के आदर्श के रास्ते को हम नहीं छोड़ेंगे। यह सुनकर प्रश्नकर्ता बंगलें झाँकने लगे।