भारत मात्र में ही नहीं, सारे विश्व में तीर्थंकरों को पूजने की परम्परा रही है, यह यथार्थ है ऐसा इतिहास पढ़ने से भी ज्ञात होता है। वर्तमान काल में भी अनेक जैनबन्धु विदेशों में निवास कर रहे हैं तथा अपने आराध्य की आराधना के लिए उन्होंने जिनमंदिर आदि का निर्माण कराया है। जिनमें से कुछ के चित्र यहाँ प्रस्तुत हैं— कम्बोडिया तथा थाईलैंड में नागबुद्ध के नाम से पूजित सभी प्रतिमाएँ भगवान् पार्श्वनाथ की हैं। डॉ. गोकुलचंद जैन लिखते हैं कि—‘‘टर्की में भगवान बाहुबली का ५२५ धनुष लंबा बिम्ब खंडित दशा में है।’’ जिसका वर्णन आता है कि यह पोदनपुर में भगवान् बाहुबली के निर्वाण के बाद बनवाया गया था। अरब में बहुत से जैनमंदिरों के खंडहर हैं, जो देखने नहीं दिए जाते। फोटो लेना भी मना है।