साधु तुल्य निर्मल चारित्र वाले चिरस्मरणीय प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री भारत गौरव आचार्य देशभूषणजी के चरणों में हजारों व्यक्तियों के बीच २-३ घण्टे तक बैठे रहते थे, उन्होंने आचार्य श्री से यह आशीर्वाद माँगा था कि मैं भी आपकी तरह परमहंस संन्यासी बन जाऊँ । गुरुदेव द्वारा पिच्छिका से आशीर्वाद देते ही उनका मुखमण्डल प्रसन्न हो अपार आनंद का भाव प्रकट कर रहा था।
१२ अप्रैल, १९७२ को भारतीय संसद भवन में स्वयं पहुँचे तथा भगवान् महावीर के २५०० वें निर्वाण महोत्सव आयोजन की राष्ट्रीय समिति की बैठक में भाग लिया इस सभा की अध्यक्षा प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी थीं। आचार्य श्री के आशीर्वाद से भारत की आध्यात्मिक राजधानी अयोध्या में ३३ फुट ऊँची भगवान ऋषभदेवभगवान ऋषभदेव की प्रतिमा विराजमान कराई गई।
जयपुर नगर में खानिया के निकटवर्ती पर्वत चूलगिरि पर चौबीसी का निर्माण तथा क्षेत्र का विकास आपके आशीर्वाद का सुफल है।
आचार्य श्री द्वारा अनेक तमिल, कन्नड़ ग्रन्थों का हिन्दी, मराठी में भाषानुवाद तथा हिन्दी में लिखे ग्रन्थों का कन्नड़, मराठी इत्यादि भाषाओं में अनुवाद किया गया तथा हिन्दी, मराठी, गुजराती, कन्नड़ एवं बंगला में स्वतंत्र ग्रन्थ भी लिखे हैं।
भारतीय मेधा ज्ञान विज्ञान साहित्य-सामर्थ्य का अद्भुत उदाहरण सिरी भूवलय ग्रन्थ का प्रकाशन आपकी कृपा का महत प्रसाद है।
भगवान महावीर और उनका तत्त्व दर्शन एक बृहत् काय ग्रन्थ है, जिसे सन् १९७३ में विमोचित किया गया था, यह ६ अध्यायों में विभाजित है, यह ग्रन्थ आचार्य श्री द्वारा रचित एवं सम्पादित है।