जन्मभूमि- हस्तिनापुर नगर लौकिकपद- चतुर्थ चक्रवर्ती,कामदेव आयु- तीन लाख वर्ष कुमार काल- ५० हजार वर्ष मांडलिक काल- ५० हजार वर्ष दिग्विजय काल – १० हजार वर्ष चक्रीकाल- ९० हजार वर्ष वैराग्यनिमित्त- देवों द्वारा रूप की परीक्षा में गर्व हानि दीक्षा- दैगंबरी दीक्षा परीषहजय- भयंकर कुष्ठ आदि रोगों की उद्भूति, देवों द्वारा परीक्षा में शरीर के प्रति नि:स्पृहता, धर्म के प्रभाव से रोगों का अभाव संयमकाल- एक लाख वर्ष पारमार्थिकपद – कैवल्य प्राप्ति, मुक्तिपद लाभ समय- पन्द्रहवें तीर्थंकर धर्मनाथ स्वामी के तीर्थ में।