ब्रिटेन में प्रकाशित एक अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार अच्छी व शांतिपूर्ण नींद लेने से याददाश्त की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि याददाश्त की क्षमता को बनाए रखने के लिए शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ होना जरूरी है। शोधकर्ताओं के अनुसार अच्छी नींद से हमारी मांसपेशियों में पुन: ऊर्जा का संचार होने लगता है, साथ ही उसका असर हमारे मस्तिष्क की क्रियाओं पर भी पड़ता है। इससे मस्तिष्क की याददाश्त बनाने वाली प्रक्रियाओं में वृद्धि होती है।
पटना मेडिकल कॉलेज में आयोजित दो दिवसीय सेमिनार में डाॅ॰ अखौरी राजीव शेखर सिन्हा ने कहा कि लोगों को लंबी पारी के लिए निरामिष भोजन करना चाहिए। डॉ. सिन्हा ने कहा कि जटिल जीवन शैली एवं तनाव के कारण ‘फ्री रैडिकल’ का सृजन होता है जो शरीर के ऊपर बुढ़ापा एवं मृत्यु का प्रभाव डालते हैं । शोधों के हवाले से उन्होंने बताया कि निरामिष भोजन से इन तत्वों में कमी आती है । नियमित व्यायाम तथा तनाव रहित आध्यात्मिक मानसिकता से दीर्घायु होने की संभावना बढ़ती है।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने अनेक शोधों के माध्यम ये यह प्रमाणित कर दिया है कि हृदय रोगियों के लिए केला एक अच्छा ‘स्वास्थ्य रक्षक’ कवच है। वैज्ञानिकों के अनुसार दिल का दौरा पड़ने के तुरन्त बाद यदि रोगी को १-२ केले का सेवन करा दिया जाये तो दिल के दौरे से मृत्यु होने की संभावना ५० प्रतिशत तक घट जाती है।
वृद्धावस्था का आना एक शारीरिक प्रक्रिया है। बुढ़ापे में पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है, दांत गिर जाते हैं जिससे हर तरह का भोजन कर पाना कठिन हो जाता है। अक्सर वृद्ध वही भोजन करना चाहते हैं जिसे वे चबा सकने में समर्थ होते हैं । परिणामस्वरूप उनके शरीर को सम्पूर्ण मात्रा में पोषक तत्व प्राप्त नहीं हो पाते। वृद्धावस्था में पाचन तंत्र अनेक तरह से प्रभावित होता है। कोई भोजन साठ के बाद किसी को पच जाता है तो दूसरे को वही भोजन नहीं पचता । किसी को शुगर होने के कारण मीठी चीज खाने की मनाही रहती है तो कोई बुढ़ापे में हलुवा खीर आदि मुलायम व्यंजन को ही अपना आहार बनाता है। यह कहना कठिन है कि बुढ़ापे में क्या खायें और क्या न खायें लेकिन जो भी आहार लें, वह सुपाच्य तथा शक्तिवर्धक है अत: भोजन के संबंध में विशेष ध्यान रखें।
समय पर भोजन करें:— इस उम्र में सदैव समय पर हल्का भोजन करें । कभी भी ज्यादा देर भूखे न रहें। सुबह जल्दी ही हल्का नाश्ता करना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। ध्यान रहे इस उम्र में एक साथ ज्यादा भोजन की अपेक्षा थोड़ा—थोड़ा कई बार खाना उचित रहता है। इस अवस्था में सोने से करीब ढाई—तीन घंटे पूर्व भोजन करना स्वास्थ्यवर्धक होता है।
कैसा भोजन करें:—शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पोषक तत्वों की मात्रा आवश्यकता के अनुसार लें। कैल्शियम , प्रोटीन व विटामिनयुक्त आहार इस समय लेना आवश्यक है। भोजन में बारीक कटा हुआ सलाद अवश्य लें। भोजन आसानी से चबाया जा सके इसलिए खाद्य पदार्थ बारीक कटे हुए होने चाहिए। इस अवस्था में यदि दूध हजम होता है तो रात को सोते समय दूध पीना लाभदायक है। जो फल शरीर को लाभ देता है उसको दिन में एक बार अवश्य लें । टमाटर सूप लेना भी उचित रहता है।
आहार को आसान बनाएं:— १. इस अवस्था में जो भी आहार लें, वह ऐसा लें जिसे पचाने में कठिनाई न हो। रात में सदैव हल्का भोजन करें। दिन में कुछ भारी भोजन किया जा सकता है। शरीर के लिए जो खाद्य पदार्थ आवश्यक हैं लेकिन खाने में रूचिकर नहीं हैं उन्हें बारीक कटी हरी धनिया, हरी मिर्च, भुने जीरे , कसे नारियल से आकर्षक बनाकर खाएं। कभी आवश्यक व अरुचिकर आहार खाकर बाद में रुचिकर आहार खाने से भी मन तृप्त रहता है।
क्या न खाएं :— इस अवस्था में अधिक मिर्च मसालेदार, तला या भारी आहार न लें और बहुत अधिक ठंडे पदार्थों के सेवन से भी बचें। अधिक चाय काफी आदि का सेवन न करें। इस उम्र में पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है अत: चर्बी व वसायुक्त खाद्य पदार्थ न खाएं। जो चीजें खाने को मना की गयी हैं उन्हे खाने के लिए मन में लालच न लाएं।
जल अधिक पिएं:— आमाशय में ठीक प्रकार से पाचन हो, इस दृष्टि से पर्याप्त जल पिएं। जल लिए गये आहार की रुक्षता को नष्ट करता है अत: दिन में छ: से आठ गिलास पानी अवश्य पिएं। इससे गुर्दे की कार्यक्षमता बढ़ जाती है और पाचन शक्ति ठीक रहती है।
आहार के बाद की क्रिया:— आहार खाने के बाद साफ जल से कुल्ले अवश्य करें । इसका पाचन पर बड़ा ही हितकर प्रभाव पड़ता है। कुल्ले के बाद कोई भी सुगंधित द्रव्य जैसे कुटी सौंफ, लौंग या पान आदि खाएं। यह एकत्रित कफ को नष्ट करता है। सोने से पूर्व दांत टूथपेस्ट मंजन से अवश्य साफ कर लें । इस अवस्था में भोजन के तुरंत बाद सोना या लेटना उचित नहीं है। कुछ देर तक शुद्ध वायु (खुली जगह) लेते हुए टहलें। भोजन खाकर तेज न चलें। टहलने के बाद विश्राम करें।