राजा तालुकदार
कई लोग कड़वा होने के कारण करेले को खाना पसंद नहीं करते लेकिन यह शरीर के लिए काफी लाभदायक होता है। स्वस्थ रहने के लिए खट्टे, मीठे, कसैले, तीखे रस की जरूरत होती है उसी तरह कड़वे रस की जरूरत भी शरीर को होती है। स्वस्थ शरीर के लिए रस की उचित मात्रा की जरूरत होती है । इसमें से किसी भी रस का अभाव होने पर शरीर में विकार उत्पन्न हो जाते हैं। करेला, वात, पित्त विकार, पाण्डु, प्रमेह एवं मिर्गीनाशक होता है। बड़े करेले के सेवन से प्रमेह, पीलिया और अफारा में लाभ मिलता है। छोटा करेला बड़े करेले की तुलना में ज्यादा गुणकारी होता है। करेला शीतल, भेदक, हलका कड़वा व वातकारक होता है और ज्वर , पित्त, कफ, रूधिर विकार, पाण्डुरोग, प्रमेह और मिर्गी रोग का नाश भी करता है। करेली के गुण भी करेले के समान हैं। करेले का साग उत्तम पथ्य है। यह आमवात, वातरक्त, यकृत, प्लीहा, वृद्धि एवं जीर्ण त्वचा रोग में लाभदायक होता है। इसमें विटामिन ‘‘ए’’ अधिक मात्रा में होता है। इसमें लोहा, फास्फोरस तथा कम मात्रा में विटामीन ‘सी’ भी पाया जाता है। छोटे करेले में लौह तत्व अधिक होता है।
करेले के कुछ उपयोग नीचे दिये जा रहे हैं। :— मधुमेह के रोगियों के लिए करेला विशेष हितकारी है। प्रतिदिन सुबह करेले का रस पीने से मधुमेह में लाभ मिलता है। ०५० ग्रा. करेले का रस कुछ दिन लगातार पीने से रक्त साफ होता है और रक्तविकार से छुटकारा मिलता है” इसके पत्ते का रस गर्म पानी के साथ पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। करेले के पत्ते का रस मालिश करने से पैरों की जलन मिटती है। करेले का फूल पीसकर सेंधा नमक मिलाकर व्रण शोध पर बांधने से लाभ मिलता है। करेले का रस एक कप पीने से कब्ज मिटता है। करेले के पत्ते के ५० ग्राम रस में थोड़ा सा हींग मिलाकर पीने से पेशाब खुलकर होता है और मूत्रघात दूर हो जाता है। करेले की सब्जी खाने तथा दो करेले का रस लगातार कुछ दिन पीने से वृक्क और मूत्राशय की पथरी टूट कर पेशाब के साथ निकल जाती है। पीलिया होने पर एक करेला पानी में पीसकर सुबह—शाम पीने से लाभ मिलता है। करेली के पत्तों या फल का रस शक्कर मिलाकर एक चम्मच लेने से खूनी बवासीर में लाभ मिलता है। करेली तीन पत्तों के साथ तीन काली मिर्च पीसकर पीने से मलेरिया का बुखार मिटता है। करेली के पत्तों का रस शरीर पर मलना भी लाभदायक होता है।