कोई भी बीमारी क्यों होती है?
जब भी किसी कारण से हमारे शरीर मे रासायनिक परिवर्तन होता है, तो बीमारी होती है।
इस रासायनिक बदलाव का कारण है, जैविक रासायनिक परिवर्तन। शरीर में होनेवाली ग्रंथीयों के हार्मोंन्स का परिवर्तन।
यह स्त्रायविक प्रणाली को विकृत करने का काम रसायनोंसे कभी कभार होता हैं।
लेकिन इस का मूल कारण हैं प्रदूषित भावनाए। प्रदूषित उर्जा।
जब भावनिक स्तर पर गडबड हो जाती हैं, तो उसका असर शरीर पर तो होता ही हैं।
शरीरमें रासायनिक परिवर्तन होने लगते है। इन परिवर्तनों को मूल स्थिती मे लाने के लिये डॉक्टर हमे दवाईयाँ देते है।
वह दवाईयाँ अॅलोपॅथीक, होमिओपॅथीक या आयुर्वेदिक कोई भी हो सकती है। ईससे पहले बीमारी कम होती है और बाद मे ठीक होती है।
कई बीमारीयाँ तो ऐसी होती हैं कि जब तक आप दवाईयाँ लेते है तब तक अच्छे रहते हो, और दवाईयाँ बंद तो बीमारी फिरसे शुरु हो जाती है।
दवा खायेंगे तो आखिर कितने साल खायेंगे ? प्रगत विज्ञान की बदौलत आज के जमाने मे आयुर्मान ८० – ८५ साल हो गया है।
अगर ४० – ४५ की उमरमें दवा,गोली, इंजेक्शन शुरु करेंगे तो क्या अगले ४० – ४५ साल आप दवाईयों पर जियोगे ?
इसी विचारसे पुणे (महाराष्ट्र) मे डॉ उदिता शहा जी ने संशोधन शुरु किया।
उनके पी एच डी का विषय था “कौनसी भावनाये कौनसी बीमारीयाँ उत्पन्न करती है?”
उदा॰ तणावयुक्त जीवनशैली से ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तदाब) होता है, या ज्यादा स्ट्रैस लेने से पेप्टिक अल्सर होता है इ॰ ।