हेमज्जुणतवणीया कमसो वेलुरियरजदहेममया। इगिदुगचउचउदुगइगिसयतुंगा होंति हु कमेण।।५६६।।
हेमार्जुनतपनीयाः क्रमशः वैडूर्यरजतहेममयाः। एकद्विकचतुश्चतुद्र्विवैशततुङ्गा भवन्ति हि क्रमेण।।५६६।।
हेम। हेमवर्णः अर्जुनवर्णः श्वेत इत्यर्थः। तपनीयवर्णः कुक्कटचूडछविरित्यर्थः, वैडूर्यवर्णः मयूरकण्ठच्छविरित्यर्थः, रजतवर्णः हेममयः एते क्रमशः तेषां पर्वतानां वर्णाः एकशतः द्विशतः चतुःशतः चतुःशतः द्विशतः एकशतः क्रमेण तेषामुत्सेधा भवन्ति।।५६६।।
गाथार्थ—इन कुलाचलों का वर्ण क्रमशः हेम (स्वर्ण) अर्जुन (चाँदी सदृश श्वेत) तपनीय (तपाये हुए स्वर्ण सदृश) वैडूर्यमणि (नीला) रजत (श्वेत) और हेम (स्वर्ण) सदृश है। इनकी उँचाई का प्रमाण भी क्रमशः एक सौ, दौ सौ, चार सौ, चार सौ, दो सौ और एक सौ योजन है।।५६६।। विशेषार्र्र्थ—हिमवान् पर्वत का वर्ण स्वर्ण सदृश और उँचाई १०० योजन (४००००० मील) है। महाहिमवान् का अर्जुन अर्थात् श्वेत वर्ण तथा उँचाई २०० योजन (८००००० मील) है। निषध पर्वत का वर्ण तपनीय-तपाये हुए स्वर्ण के समान तथा उँचाई ४०० योजन (१६००००० मील) है। नील पर्वत का वर्ण वैडूर्य अर्थात् मयूरकण्ठ सदृश नीला है, इसकी उँचाई ४०० योजन है। रुक्मी पर्वत का वर्ण रजत अर्थात् श्वेत तथा उँचाई २०० योजन है। इसी प्रकार शिखरिन् पर्वत का वर्ण स्वर्ण सदृश एवं उँचाई १०० योजन है।