महाहिमवान् पर्वत के दोनों पाश्र्वभागों में रमणीय वेदी और वन हैं। इनकी लम्बाई इसी पर्वत के बराबर और विस्तारादिक हिमवान् पर्वत के समान है।।१७२३।। इस पर्वत के ऊपर सिद्ध, महाहिमवान्, हैमवत, रोहित्, हरि, हरिकान्त, हरिवर्ष और वैडूर्य, इसप्रकार ये आठ कूट हैं।।१७२४।। हिमवान् पर्वत के कूट से इन वूकूट की ऊँचाई और विस्तारप्रभृति सब दुगुणा-दुगुणा है।।१७२५।। जिन नामों के वे वूकूट, उन्हीं नाम वाले व्यन्तरदेव उन कूटकूटर रहते हैं। ये देव अनुपम रूपयुक्त शरीर के धारक और बहुत प्रकार के परिवार से संयुक्त हैं।।१७२६।। महाहिमवान् पर्वत पर स्थित महापद्म नामक द्रह पद्मद्रह की अपेक्षा दुगुणे विस्तार, लंबाई व गहराई से सहित है।।१७२७।। विस्तार १०००। आयाम २०००। गहराई २०। उन तालाब में कमल के ऊपर स्थित प्रासाद में बहुत से परिवार से संयुक्त तथा श्रीदेवी के सदृश वर्णनीय गुणसमूह से परिपूर्ण ह्री देवी रहती है।।१७२८।। यहाँ विशेषता केवल यह है कि ह्रीदेवी के परिवार और पद्मों की संख्या श्रीदेवी की अपेक्षा दूनी है। इस तालाब में जितने प्रासाद हैं उतने ही रमणीय जिनभवन भी हैं।।१७२९।। इस तालाब के ईशानदिशाभाग में सुन्दर वैश्रवण नामक वूकूटदक्षिणदिशाभाग में श्रीनिचय नामक वूकूटनैऋत्यदिशाभाग में विचित्र रत्नों से निर्मित महाहिमवान् वूकूटपश्चिमोत्तरभाग में ऐरावत नामक वूकूटर उत्तरभाग में श्रीसंचय नामक वूकूटत है। इन वूकूटकूट महाहिमवान् पर्वत पंचशिखर कहलाता है।।१७३०-१७३२।। ये सब वूकूटटन्तर नगरों से परम रमणीय और उपवनवेदियों से संयुक्त हैं। तालाब के उत्तरपाश्र्व भाग में जल में जिनवूकूटट।१७३३।। श्रीनिचय, वैडूर्य, अंकमय, आश्चर्य, रुचक, उत्पल और शिखरी, ये वूकूटटमें प्रदक्षिण रूप से स्थित हैं।।१७३४।।