बादालसहस्सं पुह कुरुदुणदी दुगुदुपासजादणदी।
चोद्दसलक्खडसदरी विदेहदुगसव्वणइसंखा।।७४८।।
द्वाचत्वािंरशत्सहस्राणि पृथव् कुरुद्वयनद्यः द्विकद्विपाश्र्वजातनद्यः।
चतुर्दशलक्षाष्टसप्ततिः विदेहद्विकसर्वनदीसंख्या।।७४८।।
बादाल। देवोत्तरकुर्वोः नदीद्वयोभयपाश्र्वजाता नद्यः पृथव्व् द्वाचत्वारिंशत्सहस्राणि देवकुरुजा नद्यः ४८००० उत्तरकुरुजा नद्यः ८४००० विदेहद्वयगतसर्वनदीसंख्या अष्टसप्तत्युत्तरचतुर्दशलक्षाणि १४०००७८। तत्कथं ? विदेहगतगङ्गासिन्धुसमनदीनां ६४ प्रत्येवं परिवारनद्यः १४००० विभङ्गनदीनां १२ प्रत्येवं परिवारनद्यः २८००० देवोत्तरकुर्वोः सीतासीतोदयोः २ प्रत्येक् परिवारनद्यः ८४००० एतासु स्वस्वगुणकारेण गुणयित्वा तत्र तत्र मुख्यनदी ७८ सहितं सर्वासु मिलितासु विदेहद्वयगतसर्वनदीसंख्या।।७४८।।
लक्खतियं बाणउदीसहस्स बारं च सव्वणइसंखा।
भरहेरावदपहुदी हरिरम्मगखेत्तओत्ति णादव्वा।।७४९।।
लक्षत्रयं द्वानवतिसहस्रं द्वादश च सर्वनदीसंख्या।
भरतैरावतप्रभृति हरिरम्यकक्षेत्रान्तं ज्ञातव्या।।७४९।।
लक्ख। लक्षत्रयं द्वानवतिसहस्राणि द्वादश च ३९२०१२ भरतैरावतप्रभृतिहरिरम्यकक्षेत्रपर्यन्तं सर्वनदीसंख्या ज्ञातव्या। तत्कथं ? भरते गङ्गासिन्ध्वोः २ प्रत्येवं परिवानद्यः १४००० हैमवते रोहिद्रोहितास्ययोः २ प्रत्येवं परिवरनद्यः २८००० हरिक्षेत्रे हरिद्धरिकान्तयोः २ प्रत्येवं परिवारनद्यः ५६००० एवमैरावते रक्तारक्तोदयोः १४०० हैरण्यवते सुवर्णरूप्यवूलयोः २८०० रम्यकक्षेत्रे नारीनरकान्तयोः ५६००० स्वस्वगुणकारेण गुणयित्वा मिलिते आयान्ति।।७४९।। सत्तरसं बाणउदी णभणवसुण्णं णईण परिमाणं। गंगासिंधुमुखाणं जंबूद्वीवप्पभूदाणं।।७५०।। सप्तदश द्वानवतिः नभोनवशून्यं नदीनां परिमाणं। गङ्गासिन्धुमुखानां जम्बूद्वीपप्रभृतानाम्।।७५०।। सत्तरसं। सप्तदश द्वानवतिर्नभोनव शून्यं १७९२०९० जम्बूद्वीपोद्भूतानां गङ्गासिन्धुप्रमुखानां सर्वनदीनां प्रमाणं स्यात्। एतच्चोक्तगाथयोरज्रनां मेलने स्यात्।।७५०।।
गाथार्थ :— देवकुरु, उत्तरकुरु दोनों क्षेत्रों की दो नदियों के दोनों पाश्र्व भागों पर पृथव्-पृथव् ४२ हजार, ४२ हजार परिवार नदियाँ हैं तथा दोनों विदेहों की सम्पूर्ण नदियों की संख्या चौदह लाख अठत्तर है।।७४८।।
विशेषार्थ :— देवकुरु क्षेत्र में सीतोदा नदी के दोनों पाश्र्व भागों से उत्पन्न पृथव्-पृथव् ४२००० परिवार नदियाँ और उत्तर कुरुक्षेत्र में सीता नदी के दोनों पाश्र्व भागों से पृथक्-पृथक् उत्पन्न ४२००० परिवार नदियाँ हैं। इस प्रकार देवकुरुगत सीतोदा की सहायक ८४००० और उत्तर कुरुगत सीता की परिवार नदियाँ भी ८४००० हैं। दोनों विदेह क्षेत्रों में सम्पूर्ण नदियों का प्रमाण १४०००७८ है। वह कैसे ? विदेहस्थ ६४ गङ्गा सिन्धु और रोहित-रोहितास्या की कुल परिवार नदियाँ (१४००० ² ६४)· ८९६०००, १२ विभङ्गा की कुल परिवार नदियाँ (२८००० ² २ ) · ३३६०००, देवकुरु उत्तरकुरुगत सीता-सीतोदा की परिवार नदियां (८४००० ² २) · १६८००० तथा मुख्य नदियाँ (६४ ± १२ ±२) · ७८ हैं। इन सम्पूर्ण नदियों का कुल योग (८९६००० ± ३३६००० ± १६८००० ± ७८) · १४०००७८ है अर्थात् पूर्व-पश्चिम दोनों विदेह क्षेत्र गत सम्पूर्ण नदियों का प्रमाण १४०००७८ है।
गाथार्थ :— भरतक्षेत्र से हरिक्षेत्र पर्यन्त और ऐरावत क्षेत्र से रम्यक क्षेत्र पर्यन्त की सम्पूर्ण नदियों का प्रमाण तीन लाख, बान्नवे हजार, बारह है।।७४९।।
विशेषार्थ :— भरत से हरिक्षेत्र पर्यन्त और ऐरावत से रम्यक पर्यन्त के समस्त क्षेत्रों की सम्पूर्ण नदियों का प्रमाण तीन लाख बान्नवे हजार बारह (३,९२,०१२) है वह कैसे ? भरतक्षेत्र में गंगा-सिन्धु प्रत्येक की परिवार नदियाँ १४००० हैं अतः (१४००० ² २) · २८००० कुल प्रमाण हुआ। हैमवत क्षेत्र गत रोहित-रोहितास्या में प्रत्येक की परिवार नदियाँ २८००० हैं अतः (२८००० ² २) · ५६०००, हरिक्षेत्र गत हरित् हरिकान्ता प्रत्येक की सहायक ५६००० हैं अतः (५६००० ² २) · १,१२०००, ऐरावत में रक्ता-रक्तोदा प्रत्येक की परिवार नदियाँ १४००० हैं अतः (१४००० ² २) · २८००० हैं। हैरण्यवत में सुवर्णवूâला-रुप्यकूला प्रत्येक की २८००० परिवार नदियाँ हैं अतः (२८००० ² २) · ५६००० हैं तथा रम्यक क्षेत्र में नारी-नरकान्ता प्रत्येक की सहायक नदियाँ ५६००० हैं, अतः (५६००० ² २ ) · १,१२००० हैं। इस प्रकार विदेह क्षेत्र को छोड़कर शेष छह क्षेत्रों की सम्पूर्ण नदियों का कुल योग (२८००० ± ५६००० ± १,१२००० ± २८००० ± ५६००० ± १,१२००० ± १२) · ३,९२,०१२ है।
गाथार्थ :— जम्बूद्वीप में उत्पन्न गङ्गा सिन्धु हैं प्रमुख जिनमें ऐसी सम्पूर्ण नदियों का प्रमाण सत्रह लाख बानवे हजार नब्बे है।।७५०।।
विशेषार्थ :— पूर्वापरविदेह क्षेत्रोत्पन्न १४०००७८ नदियाँ और भरतादि छह क्षेत्रोत्पन्न ३९२०१२ नदियाँ मिलाकर १७९२०९० नदियाँ जम्बूद्वीप में हैं।