पूज्यश्री का नाम | मुनी श्री १०८ विश्वेश सागर जी महाराज जी |
गृहस्थावस्था नाम | पं. क्षेमंकर कुमार |
जन्मस्थान | सिलवानी, जिला—रायसेन (म. प्र) |
जन्मतिथि व दिनाँक | १८ फरवरी, १९५४ माघ सुदी—सष्टी (६) वि. स. २०१० |
जाति | परवार |
गोत्र | ईडरी मुरी—वात्सल्य |
माता का नाम | श्रीमति मानो बाई |
पिता का नाम | श्री पं. श्री मन्नालाल जैन |
लौकिक शिक्षा | बारहवीं कक्षा |
आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत/प्रतिमा-व्रत ग्रहण करने का विवरण | जनवरी, २००२ आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत द्वारा – परम पूज्य गणाचार्य श्री १०८ विराग सागर जी महाराज |
क्षुल्लक/क्षुल्लिका दीक्षा तिथि, दिनाँक व स्थान | २५ फरवरी, २००२ सिलवानी क्षुल्लक/क्षुल्लिका |
दीक्षा गुरु | परम पूज्य गणाचार्य श्री १०८ विराग सागर जी महाराज |
ऐलक दीक्षा तिथि, दिनाँक व स्थान | २१ जनवरी, २००३ श्रेयांसगिरि (सीरा पहाड़ी) |
ऐलक दीक्षा गुरु | परम पूज्य गणाचार्य श्री १०८ विराग सागर जी महाराज |
मुनि दीक्षा तिथि, दिनाँक व स्थान | ८ जून, २००३, ललितपुर (उ. प्र.) |
मुनि दीक्षा गुरु | परम पूज्य गणाचार्य श्री १०८ विराग सागर जी महाराज |
आचार्य/उपाध्याय/गणिनी आदि पदारोहण तिथि व स्थान | आचार्य पद (स्वीकार नहीं किया) बंदवासी, तमिलनाडु भट्टारक लक्ष्मी सेन (मेल सित्तामर) तमिलनाडु प्रतिष्ठा चार्य, बलदेव शास्त्री चैन्नै, प्रतिष्ठाचार्य ई जम्बु कुमार शास्त्री चैन्नै पुलवर तो. जम्बु कुमार शास्त्री चैन्नै, विधान भूषण राजेन्द्र कोड सात मंगलम वेदवासी तमिलनाडु एवं समस्त जैन वेदवासी समाज(तमिलनाडु) |
साहित्यिक कृतित्व | १. श्री विराग अष्ट विद अर्चना (तमिलभाषा) २. विराग नित्य पाठावली (तमिलभाषा) ३. दिगम्बर मुनी (तमिलभाषा) ४. भक्तामर स्तोत्र (तमिलभाषा) ५. श्रीवक प्रतिक्रमण (तमिलभाषा) ६. लघु विराग नित्य पाठावली(तमिलभाषा) ७. पंच नमस्कार मंत्र महिमै (तमिलभाषा) ८ रत्नावली प्रश्न—उत्तर (तमिलभाषा) ९. कुलनदइ ज्ञानम भाग—१ १०. कुलन्दइ भाग-२ ११. कुलन्दइ ज्ञानम भाग—३ १२ पैन्द तमिर तत्वात सूत्र कुरी पुरई (तमिलभाषा) १३. मान तुंग को अमर भक्ति (तमिलभाषा) १४. विराग अंजली (तमिलभाषा) १५. तीर्थंकर दिव्य दर्शन (तमिलभाषा) १६. भक्ती स्तोत्र पाठावली (हिन्दी—भाषा, तमिलभाषा)। |
उपाधि | १. मासोउपवासी तपस्वी रत्न, २. तपस्वी संत, ३. जीर्णोद्धार चितामणी नमगुरू, ४. ओजस्वी संत, ५. अहिंसायानी नम गुरूवर, ६. तिरूकुरल तपमुनी। |
अन्य विशेष जानकारी | १. २००७ से लगातार सोठस कारण व्रत, २. माघ—चैत सोठस कारण १६ दिनों के उपास, ३. भद्रमास सोठस कारण व्रत ३२ दिनों का उपवास, ४. आष्ठानिका व्रत—८—८ दिन का उपवास ५. अष्टमी चतुर्दशी (उपवास अथवा नीरस आहार), ६. चावल—तुअर, मसूर, तेवडा का आजीवन त्याग, ७. हरी पत्ती फली, सभी हरी सब्जी का आजीवन त्याग, ८. आहार में एक दिन में एक धान लेने का नियम, ९. आहार में एक दिन में ५ फल का नियम। |
संघ का संपर्क़ सूत्र (मोबाइल, फोन, ईमेल) | ब्रह्मचारी चन्द्रु (प्रतिमाधारी) ०९०८०४४१४०० (तमिल भाषा) प्रमोद कुमार जैन (श्रावक) ०९०४७१०९७३० (हिन्दी भाषा) |