जिसकर्म के उदय से कांति सहित शरीर हो । वह आदेय नाम कर्म है । और जिस कर्म के उदय से प्रभा रहित शरीर हो वह अनादेय नाम कर्म है । आदेयता, गृहणीयता और बहुमान्यता, ये तीनो शब्द एक अर्थ वाले है । जिस कर्म के उदय से जीव के बहुमान्यता उत्पन्न होती है, वह आदेय नामकर्म कहलाता है ।