सूक्ष्म योगासनों में अधिक शक्ति लगाकर व्यायाम नहीं करना पड़ता, इसलिए इन्हें हर आयु वर्ग के व्यक्ति सरलता से कर सकते हैं। इनकी प्रमुख सोलह विधियों का विवेचन निम्नानुसार है।
१. बटर फ्लाई योगासन-इस सूक्ष्म योगासन को करने के लिए आसन पर बैठकर दोनों पैरों के तलवों को आपस में जोड़े. फिर दोनों हाथों से पैरों के पंजों को पकड़ कर दोनों घुटनों को उड़न्त पक्षी के पंखों जैसे हिलाते रहें।
लाभ : इससे पेट की चर्बी कम होती है तथा कमर व घुटनों के रोगों में लाभ होने के साथ मोटापा कम करने में सहायक है।
समय : इस योगासन को कम से कम ४०-५० बार अवश्य करें।
‘‘ढलती उम्र में टानिक है, ज्यादा एक्सरसाईज (योगासन)’’
२. नाखूनासन-इस योगासन के लिए सुखासन में बैठकर दोनों हाथों के पांचों नाखूनों को आपस में रगड़ते रहें।
लाभ :- अंगुलियों में रक्त संचार होता है।
– बाल लम्बे होने की सम्भावना होती है तथा बालोें का सफेद होना कम होता है।
– बालों के न गिरने तथा घने होने में सहायक हैं।
समय : नाखूनासन को कम से कम ५० बार अवश्य करना चाहिए। सोचिये क्या ये दिन सदा ऐसे ही रहेंगे।
३. मुट्ठी आसन-क. इस योगासन को करने के लिए सुखासन में बैठें तथा दोनों हाथों की मुट्ठी को बन्द करके नाक के सीध में पंजों को मोड़कर आपस में सटाते हुए उल्टा एवं सीधा कम से कम १०-१० बार घुमाते रहें।
ख. यह योगासन करने के लिए दोनों हाथों को नाक की सीध में रखकर दोनों हाथों के पंजों को १०/१० बार खोलिये और बन्द करिये।
लाभ : इस योगासन को करने से हाथों की मांसपेशियों में मजबूती तथा अँगुलियों में रक्त संचार व लचीलापन आता है।
समय : मुट्ठी आसन कम से कम बारी—बारी से १ बार करना चाहिए।
सोचिए! क्या ये दिन सदा ऐसे ही रहेंगे।
४. उर्द्धहस्तासन व ताली आसन-ऊर्द्धहस्तासन—इस आसन को करने के लिए सुखासन में बैठकर दोनों हाथों को सीधा ऊपर की तरफ उठाकर हथेलियों को आपस में जोर—जोर से २० बार रगड़ें फिर दोनों हथेलियों से आँख व चेहरे पर मालिश करें।
ताली आसन—सुखासन में बैठकर दोनों हथेली को जमीन में सटाएं, फिर दोनों हाथ माथे के ऊपर ले जाकर २० बार ताली बजाने के बाद हथेलियों से आँखो में भाप दें तथा चेहरे पर मालिश करें।
लाभ : इस योगासन को करने से चेहरे की आभा एवम् आंखों की ज्योति बढ़ती है। हाथों की मांसपेशिया मजबूत होती हैं तथा हथेलियों और अंगुलियों में रक्त संचार एवं लचीलापन होता है।
समय : यह दोनों क्रियाएं कम से कम बारी—बारी १ बार अवश्य करें।
‘‘ जब आप इस दुनिया में आए थे
तब रोते रोते आए और लोगों ने आपका
हंसते हंसते स्वागत किया, अब आप
ऐसे कार्य करें कि जब आप इस दुनिया
से जाएं तब हंसते—हंसते जाएं और लोग
आपके लिए रोएं। ’’
५. कोहनी आसन-(क) इस आसन के लिए सुखासन में बैठकर दोनों हाथों को मोड़ें दोनों अँगूठे को कंधे पर रखें एवं दोनों कोहनी को आपस में मिलाकर १०-१० बार उल्टा एवं सीधा घुमाएं।
(ख) दोनो हाथों को मस्तक के ऊपर ले जाएं फिर दोनों कोहनियों को आपस में हाथ में पकड़े एवं केवल मस्तक और दोनों हाथों को दाएं बाएं १०-१० बार ज्यादा से ज्यादा झुकाते रहें।
लाभ : इस आसन से कंधे एवं छाती की मांसपेशियों में लचीलापन होता है। हाथों एवं कंधों की बिमारियों में बहुत लाभ मिलता है।
समय : ये आसन कम से कम एक बार करें।
६. मस्तकासन-सुखासन में बैठकर श्वांस को रोककर सभी मस्तकासन करने चाहिए।
(क) दोनो हाथों की अंगुलियों को आपस में फंसाकर सिर के पीछे लगाने के पश्चात् दोनों हथेलियों से मस्तक को आगे की तरफ धकेलें एवं मस्तक को पीछे की तरफ धकेलते रहें जब तक शरीर में कंपन्न महसूस न होने लगे।
(ख) दोनों हथेलियों से मँुह की ढुड्डी को पीछे की तरफ धकेले एवं मुखमंंडल को हथेलियों की तरफ दबाते रहें जब तक की शरीर में कंपन्न महसूस न होने लगे।
(ग) मस्तक को सीधा रख के मँुह के दायें जबड़े को दायीं हथेली से बायें तरफ धकेले एवं मस्तक को सीधा रख के बायें जबड़े को बायीं हथेली से दाहिनी तरफ धकेलते रहें जब तक की शरीर में कंपन्न न महसूस होने लगे।
(घ) मुखमंडल को १०-१० बार आगे पीछे मोड़ें।
(च) मुखमंडल को दायीं और बायीं तरफ १०-१० बार झुकाने का अभ्यास करें।
(छ) मुखमंडल को दायें एवं बांयी तरफ मोड़कर बारी बारी से १०-१० बार कंधे को देखने की कोशिश करें।
(ज) मुखमंंडल को एवं आंखों की (आंखे खुली अवस्था में) पुतलियों को धीरे-धीरे १०-१० बार बारी—बारी से दाईं एवं बाईं तरफ गोलाकार करके घुमायें।
लाभ : यह मस्तकासन करने से सरवाईकल पेन एवं गर्दन सम्बन्धित बिमारियों में लाभ होने की प्रबल सम्भावना है।
‘‘समय का सदुपयोग न करने वाला व्यक्ति,
किसी भी क्षेत्र में सफल नहीं होता।’’
७. चक्षु आसन-इस योगासन को करने के लिए सुखासन में बैठकर मुखमंडल को सीधा रख के दोनों हाथों को नाक की सीध में रखें फिर मुट्ठी बन्द करके अँगूठे को बाहर निकाले फिर आँखो की पुतलियाँ और अँगूठे को दायें—बायें नीचे ऊपर एवं गोलाकार करके घुमाते रहें।
लाभ : आखाें की नसों में रक्त संचार बढ़ने के साथ ज्योति भी बढ़ती है एवं आंख सम्बन्धी बीमारियों को दूर करने में सहायक है।
समय : इस चक्षु आसन को बारी—बारी से कम से कम ५/१० बार अवश्य करें।
‘‘विद्या के समान संसार में कोई नेत्र नहीं हैं।’’
८. घुटनापंजासन-घुटनासन : घुटनों के ऊपर तथा कमर के नीचे अंश को कम से कम १०० बार कंम्पन करते रहें।
पंजासन (क)
इस योगासन को करने के लिए सीधा बैठकर दोनों हाथ पीछे करें एवं पैरों को सामने पसार करके दोनों पंजों को आपस में सटाकर तथा घुटनों को जमीन से टिकाएं। फिर दोनों पंजों को आगे—पीछे एवं दायें—बायें गोलाकार कम से कम १०-१० बार घुमाते रहें।
पंजासन (ख)
दोनों पैर के पंजों से कम से कम २० बार जोर से ताली बजाते रहें।
लाभ : दोनों पैरों के पंजो एवं पिण्डलियों का व्यायाम होता है। लगातार करने से घुटनों के दर्द में लाभ होने की प्रबल सम्भावना है।
समय : इस आसन को कम से कम १ बार अवश्य करें।
९. मोटापा आसन-
(क) यह योगासन करने के लिए आसन पर बैठकर दोनों पैरों को सामने पसारे, पंजों को सटाकर एवं घुटनों को जमीन से लगाएं। अब दोनों हाथों को सामने सीधा करके दोनों हथेलियों को आपस में जोड़कर चक्की से गेहूं पीसने की तरह कम से कम १०-१० बार उल्टा एवं १० बार सीधा बड़ा शून्य बनाकर घुमाते रहें।
(ख) आसन पर सीधे लेट जायें। दोनों हाथ जमीन में सीधे सटावें, दोनों पैरों को बारी बारी से उठाकर कम से कम २०-२० बार साईकिल की तरह चलाते रहें।
(ग) आसन में सीधे लेट जाएं, दोनों हाथ जमीन में सीधे सटाकर दोनोें पैरों को बारी—बारी से ऊपर उठाकर कम से कम २०-२० बार दाँये बाँये गोलाकार करके घुमावें।
(घ) आसन में सीधे लेटें, दोनों हाथ जमीन पर सीधे सटा कर दोनों पैर ऊपर की तरफ उठावें एवं दोनों पैरों को एक साथ गोलाकार करके कम से कम १०-१० बार दाँये बाँये घुमावें।
(च) पेट के बल पर उल्टा लेट जाएं, दोनों हाथ सामने की तरफ पैâलायें एवं दोनों पैर पीछे की तरफ पैâलाकर आपस में सटा लें अब श्वास को रोककर दोनों हाथ पैर तथा मुखमंडल समेत इन तीनों को २०/३० सैकेण्ड तक उपर उठाकर स्थिर रखने की कोशिश करें। यह योगासन २/३ बार दोहराएं।
(छ) मोटापा कम करने के लिए खुले मैदान में या मकान की छत पर हल्के—हल्के (जोगिंग) दौड़ कर चलना चाहिए।
लाभ :- इन मोटापा आसनों को करने से कमर, पेट एवं कुल्हे हल्के होने के साथ मोटापा की बीमारियों में फायदा होता है। मेरूदण्ड संबंधी रोगों में लाभप्रद है तथा आलस्यता भी दूर होती है।
(ज) रोजाना सुबह उठकर २ नींबू का रस २ गिलास हल्के गरम पानी में डालकर या करेले के जूस में नींबू निचोड़कर पीने से मोटापे की बीमारी में बहुत फायदा होता है।
‘‘विशेष नोट’’: गर्भवती महिलाओं को यह मोटापा आसन नहीं करना चाहिए।
१० मण्डूकासन-
(क) यह योगासन वङ्काासन में बैठकर दोनों हाथों की मुट्ठी बन्द कर लें। मुट्ठी बंद करते समय अंगूठे की अँगूलियों को हाथों के अन्दर बन्द करें। दोनो मुट्ठियों को नाभि के दोनों ओर लगाकर श्वांस को बाहर निकालकर सामने की तरफ झुकिये एवं श्वाँस को रोकते हुए मस्तक को ऊँचा करके आंखों से सामने की तरफ देखते रहें। इसी अवस्था में कम से कम १० सैकेन्ड तक रहें।
(ख) यह योगासन वङ्काासन में बैठकर दोनों हाथ सामने की तरफ पैâलाते हुए मस्तक को जमीन में सटाएं एवं इसी अवस्था में कम से कम १० सैकेन्ड तक रहें।
लाभ : पेट बाहर की ओर जरूरत से ज्यादा नहीं निकलता एवं अन्य पेट के रोग भी दूर होने की सम्भावना है तथा शरीर को सुडौल बनाने में सहायक है।
समय : यह योगासन कम से कम तीन बार अवश्य करना चाहिए।
‘‘विशेष नोट’’ : गर्भवती महिलाओं को यह आसन नहीं करना चाहिए।
‘‘मोटापा सभी बीमारियों की जड़ है’’
११. नौकासन-
(क) इस योगासन में आसन पर सीधा लेट जाए फिर दोनों पैरों को और मस्तक उठाकर नाव की तरह शरीर को बनाएं एवं दोनों हाथ सीधा करके पैर पंजों को स्पर्श करने की कोशिश करें। नौकासन अवस्था में कम से कम १५ सेकेण्ड रहकर शवासन करके विश्राम करें।
(ख) इस योगासन में सीधे लेट जाएं दोनों पैर की एड़ी एवं मस्तक व कन्धे जमीन में सटाकर दोनों हाथों से कमर को ऊपर उठाकर उल्टी नाव की तरह शरीर को बना लें। इसी अवस्था में कम से कम १० सैकेन्ड तक स्थित रहने के बाद पुन: शवासन करके विश्राम करें।
लाभ : यह योगासन करने से हाथ एवं पैरों की मांसपेशियों में लचीलापन, कमर की डिस्क आदि बीमारियों में फायदा होता है एवं शरीर को संतुलित बनाए रखने में सहायक है।
समय : नौकासन कम से कम १/२ बार करना चाहिए।
१२. कमर आसन-
(क) आसन पर सीधे लेट कर दोनों हाथों को दोनों तरफ पैâला लें, दाहिने पैर को ऊपर की तरफ उठाएं और बाईं तरफ झुकाकर जमीन में सटाएं। इसके बाद बायें पैर को ऊपर की तरफ उठाएं और दाहिने तरफ झुकाकर जमीन से सटाएं। दोनों अवस्था में बारी बारी १०/१५ सेकेन्ड तक रखें। यह प्रक्रिया कम से कम २/३ बार करें।
(ख) आसन पर उल्टा लेट कर दोनों पैरों को बारी बारी से ऊपर नीचे की तरफ करते रहे। इसके साथ ही मुखमंडल को दोनों हाथों पर रखकर ऊपर उठाएं एवं सामने की १०/१५ सेकेन्ड तक देखते रहें।
यह प्रक्रिया कम से कम २/३ बार करें।
(ग) आसन पर उल्टा लेट कर दोनों हाथों को लम्बा करके पेट के नीचे दबाएं और मुखमंडल को ऊपर सामने की तरफ १०/१५ सेकेन्ड तक देखते रहें। यह कम से कम २/३ बार करें।
(घ) आसन पर पेट के बल पर उल्टा लेट जाएं, दाहिने हाथ को सामने भूमि पर रखें और मुखमंडल को बाईं तरफ मोड़कर इसी हाथ पर रख के बायें हाथ को ऊपर उठाकर सिर पर रखें। इसी तरह बायें हाथ को सामने भूमि पर रखें। मुखमंडल को दायें तरफ मोड़कर इसी हाथ पर रखे। सिर्फ कमर को आहिस्ता नीचे ऊपर करते रहें। यह दोनों प्रक्रिया कम से कम १०/१५ सेकेन्ड तक २/३ बार दोहराएं।
नोट : अगर आपको कमर में दर्द है तब इन योगासनों को करने के पहले नमक की पोटली से कमर की सिकाई करें, फिर ५ मिनट पश्चात् कोई भी दर्दनाशक तेल वगैरह लगाकर इन योगासनों को करें।
पेट का हाजमा ठीक नहीं होने से भी कमर में दर्द होता है।
इसलिए जो आपका शरीर आसानी से हजम कर सके वहीं खाना खाकर हाजमा ठीक रखने की कोशिश करें।
लाभ : इन योगासनों से कमर, हाथ, पैर एवं गर्दन में लचीलापन आता है तथा कमर सम्बन्धी बिमारियों में फायदा होता है तथा बराबर करने से कमर सम्बन्धित बीमारियाँ नहीं होने की सम्भावना है।
समय : चारों प्रक्रिया कम से कम बारी—बारी से एक बार अवश्य करना चाहिए।
१३. हस्त पादुकासन-
(क) इस योगासन में सीधे खड़े होकर लगभग ढाई फुट ऊंची टेबल पर एक हाथ रखते हुए झुक जाएंं। दूसरे हाथ को पूर्ण ढीला छोड़कर बारी—बारी से दोनों हाथ को दायें बायें कम से कम १५-१५ बार बड़े से बड़ा शून्य बनाकर घुमाएं।
(ख) सीधे खड़े होकर दोनों हाथ को ढाई फुट ऊँची जगह पर रुककर झुक जाएं एवं दोनों पैर को बारी बारी से दायें बायें कम से कम १५—१५ बार खड़े करके बड़ा शून्य बनाकर घुमाएं।
लाभ : यह योगासन करने से हाथ एवं पैर की कमजोरी तथा घुटनों का दर्द होने की सम्भावना है।
समय : यह आसन कम से कम १ बार अवश्य करें।
१४. लम्बाई आसन-
(क) खड़े होकर कोई रॉड या कड़ी (सर से ऊपर लगी हुई) को पकड़ कर १०/१५ सेकेन्ड तक लटकते रहे। इस क्रिया को कम से कम तीन बार करें।
(ख) दोनोें पैरों की एड़ी को ऊंचा करके पंजों के बल पर खड़ें होकर दोनों हाथों को सीधा ऊपर की तरफ करके श्वास को रोकते हुए ५/१० सेकेन्ड तक आगे पीछे चलते रहें।
(ग) बचपन में स्कूल के अन्दर ड्रील करते समय दोनों हाथ पैरो को पैâलाते हुए उछलना सिखाते थे वही उछलना १०/१५ सैकेन्ड तक करते रहें।
(घ) सीधे खड़े होकर (श्वास रोककर) दोनों हाथों को सिर के ऊपर उठायें फिर धीरे धीरे सामने की तरफ झुकाते हुए (दोनों पैरो को सीधा रखते हुए) दोनों हाथों की उंगलियों से पैर के अंगूठे को छूने की कोशिश करें। यह क्रिया कम से कम २/३ बार करें।
इसके अलावा रस्सी को सिर के ऊपर एवं पैर के नीचे से घुमाते हुये उछलना तथा साईकिल चलाना भी लम्बाई बढ़ाने में सहायक है।
लाभ : इन आसनों को नियमपूर्वक करने से लम्बाई होने की पूर्ण सम्भावना है।
१५. शवासन : सभी प्राणायाम एवं योगासन करने के पश्चात् ही शवासन और हास्यासन करना चाहिए।
इस योगासन के लिए दोनों आंखो को बन्द करके जमीन में आसन पर सीधा लेट जाएं। अपने पूरे शरीर को पूर्णरूप से ढीला छोड़ दें एवं मन को एकाग्र और प्रसन्नचित्त रखकर महसूस करें कि आप दूसरे लोक में हैं।
लाभ : मन में एकाग्रता, दृढ़ता एवं परम शान्ति मिलती है तथा कोई भी कार्य करके थकावट या परेशानी महसूस होने पर २/३ मिनट शवासन करना चाहिये। इससे आपको दुबारा कार्य करने की प्रेरणा मिलेगी।
समय : कम से कम दो तीन मिनट तक यह आसन अवश्य करें।
१६. हास्यासन-‘‘सभी सूक्ष्म प्राणायाम एवं सूक्ष्म योगासन करने के पश्चात् हास्यासन करना चाहिए।’’
यह योगासन करने के लिए सुखासन में बैठे एवं अंग प्रत्यंग को ढीला छोड़कर प्रफुल्लित होकर खिल— खिलाकर कम से कम १५ सैकेण्ड तक हँसते रहें तथा जीवन का अलौकिक आनन्द लें।
लाभ : हास्यासन करने से पूरे शरीर के रोम—रोम खिलने के साथ बुद्धि का विकास एवं मन प्रफुल्लित होता है तथा सभी अंग प्रत्यंगों का भी व्यायाम हो जाता है तथा शरीर में जितनी भी नसें हैं उनमें रक्त के संचार में सक्रियता बढ़ती है।
समय : यह आसन कम से कम ३ बार अवश्य करें।
शुद्ध भाव से हंसना मनुष्य का सबसे बड़ा गुण है।
हंसकर बोलने से प्राणीमात्र खुश होते हैं तथा मित्र भी बन जाते हैं।
आइये हम सब शुद्ध भाव से हंसकर बोलें।
केवल मात्र उपदेश नहीं देकर अपने सामर्थ्य अनुसार प्राणीमात्र की सेवा भी करते रहें।