उपशम सम्यक्त्व का जघन्य और उत्कृष्ट काल अंतर्मुहूर्त है । किसी सम्यग्दृष्टि के इस अंतर्मुहूर्त काल में से जब जघन्य एक समय तथा उत्कृष्ट छ: आवली प्रमाण काल शेष रहे और उसी काल में अनंतानुबंधी क्रोध, मान, माया, लोभ में से किसी एक के उदय आ जाने से सम्यक्त्व की विराधना होने पर जो अव्यक्तरूप अतत्त्व श्रद्धान की परिणति है उसे सासादन गुणस्थान कहते हैं।
इसका काल अति अल्प होने से हम और आप के द्वारा जाना नहीं जाता है। यह जीव सम्यक्त्वरूपी रत्नपर्वत से गिरा और मिथ्यात्वरूपी भूमि पर नहीं पहुँचा, मध्य के काल का नाम सासादन है। इसका काल जघन्य एक समय और उत्कृष्ट ६ आवली मात्र है ।