दर्शनमोहनीय की सम्यक्त्वमिथ्यात्व नामक प्रकृति के उदय से सम्यक्त्व या मिथ्यात्वरूप परिणाम न होकर जो मिश्र परिणाम होते हैं, उसे मिश्र गुणस्थान कहते हैं। जैसे—दही और गुड़ के मिश्रण का स्वाद मिश्ररूप है वैसे ही यहाँ मिश्र श्रद्धान है। इस गुणस्थान में संयम, देशव्रत और मारणांतिक समुद्घात नहीं होता है तथा मृत्यु भी नहीं है। पहले जिस गुणस्थान में आयु बाँधी थी, उसी गुणस्थान में जाकर मरण करता है। इस गुणस्थान का काल अंतर्मुहूर्त मात्र है।