ज्ञानावरणादि कर्म प्रकृतियों के दश – दश करण (अवस्थायें होती है ) उनके नाम इस प्रकार हैं – बंध, उतकर्षण, संक्रमण, अपकषण उदीरणा, सत्त्व, उदय , उपशम निधति और निकाचना । उत्कर्षण – जो कर्मों की स्थिति तथा अनुभाग का बढ़ना है वह उत्कर्षण है ।