जम्बूद्वीप के अन्दर सात क्षेत्र हैं । जिसमें विदेह क्षेत्र में सुमेरू के उत्तर की ओर उत्तरकुरू भोग भूमि दक्षिण की ओर देवकुरू भोगभूमि है । देवकुरू और उत्तरकुरू में उत्तम भोग भूमि है । हेमवत और हैरण्यवत क्षेत्र में जघन्य भोगभूमि है । हरि और रम्यक क्षेत्र में मध्यम भोग भूमि है । उत्तर कुरू उत्तम भोग भूमि के मनुष्यों एवं तिर्यन्चों की आयु एक पल्य की है । भोगभूमि के मनुष्य सदा युवा रहते हैं उन्हे कोई रोग नहीं होता और न मरते समय कोई वेदना ही होती है बस पुरूष को जंभाई और स्त्री को छींक आती है और उसी से उनका मरण हो जाता है । मरण होने पर उनका शरीर कपूर की तरह उ़ड़ जाता है । भोगभूमि में कल्पवृक्षों के द्वारा प्राप्त वस्तुओं से ही मनुष्य अपना जीवन निर्वाह सानन्द करते है । वहाँ न कोई स्वामी है और न सेवक न कोई राजा है और न प्रजा प्राकृतिक साग्यवाद का सुख सभी भोगते हैं ।