( गर्भान्वय क्रिया )
श्रावकाध्याय संग्रह में क्रियायें तीन प्रकार की कहीं हैं , सम्यग्दृष्टि पुरुषों को वे क्रियायें अवश्य ही करना चाहिए क्योंकि वे सब क्रियाएं उत्तम फल देने वाली है । गर्भान्वय क्रिया, दीक्षान्वय क्रिया,कर्त्रन्वय क्रिया इस तरह विद्वान लोगों ने तीन प्रकार की क्रियाएं मानी हैं ।
गर्भान्वय क्रिया आधार ( गर्भाधान ) आदि त्रेपन जानना तथा दीक्षान्वय अड़तालीस समझना एवं कर्मन्वय क्रियाएं सात हैं ।
गर्भ से आठे वें वर्ष में बालक की ‘उपनीति क्रिया’ यज्ञोपवीत संस्कार क्रिया होती है ।