क्षुल्लक शब्द का अर्थ ‘छोटा’ है। छोटे साधु को क्षुल्लक कहते है अथवा श्रावकों की ११ प्रतिमाओं में ११ प्रतिमाओं का पालन करने वाले क्षुल्लक है। उसमें भी दो भेद है- एक क्षुल्लक और दूसरा ऐलक । दोनों ही साधुवत् भिक्षावृत्ति से भोजन करते हैं पर क्षुल्लक के पास एक कौमीन व चादर होती है और ऐलक के पास केवल एक कौपीन । क्षुल्लक बर्तनो में आहार कर लेते हैं पर ऐलक साधुवत् पाणिपात्र मे ही आहार करते है साधु व ऐलक में मात्र लंगोट का फर्क है। क्षुल्लक हाथ से केंशलोच भी करते हैं और नाई से भी बाल बनवा सकतें हैं पर ऐलक केवल केंशलोच करते हैं। यह उत्कृष्ट श्रावक भी कहलाते हैं।