वर्तमान चौबीसी में अट्ठारहवें तीर्थंकर भगवान अरहनाथ ने हस्तिनापुर नगरी में महाराजा सुदर्शन की महारानी मित्रसेना की पवित्र कुक्षि से मगशिर शुक्ला चतुर्दशी तिथि में जन्में। उसी हस्तिनापुर में उनके गर्भ, जन्म, तप और केवलज्ञान ऐसे चार कल्याणक हुए और शाश्वत तीर्थ सम्मेदशिखर से मोक्षधाम को प्राप्त किया ।
पूर्व के तीसरे भव में कच्छ देश की क्षेमपुरी नगरी में राजा ‘धनपति’ थे। पूर्व के भव में जयन्त विमान में अहमिन्द्र हुए। भावी बारहवें तीर्थंकर का भी यही नाम है। अपर नाम पूर्वबुद्धि है।