सोलह स्वर्ग से ऊपर के देव अहमिन्द्र कहलाते हैं वहाँ वैभव आदि में हीनाधिकता नहीं है सब ही समान है राजा- प्रजा के समान भेद नहीं है वे सब वहाँ बहुत सुखी है।
सौधर्म ईशान आदि सोलह स्वर्गों से ऊपर नौ ग्रैवेयक, नौ अनुदिश और पांच अनुत्तर विमान हैं जिसमें उत्पन्न होने वाले देव अहमिन्द्र हैं यह अनेक वैभवों से युक्त होते है। इनके देवियाँ नहीं होती तथा यह कभी भी (तीर्थंकरो के पंचकल्याणक आदि में भी नहीं ) पृथ्वी पर नहीं आते हैं अपने विमान में रहते हुए सदैव तत्त्वचर्चा में तल्लीन रहते हैं और नियम से एक भवावतारी होते हैं