नाम- प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी
दीक्षा पूर्व नाम- ब्र. कु. माधुरी शास्त्री
जन्मतिथि- १८-५-१९५८ (ज्येष्ठ कृष्णा अमावस्या)
जन्मस्थान- टिकैतनगर (बाराबंकी) उ.प्र.
माता-पिता- श्रीमती मोहिनी देवी एवं श्री छोटेलाल जी जैन
भाई- चार (कर्मयोगी पीठाधीश स्वस्तिश्री रवीन्द्रकीर्ति स्वामी जी, कैलाशचंद, स्व. प्रकाशचंद, सुभाषचंद)
बहन- आठ (गणिनी आर्यिका शिरोमणि श्री ज्ञानमती माताजी एवं आर्यिका श्री अभयमती माताजी सहित)
ब्रह्मचर्य व्रत- २५ अक्टूबर १९६९ को जयपुर में २ वर्ष का ब्रह्मचर्य व्रत एवं सन् १९७१, अजमेर में आजन्म ब्रह्मचर्य सुगंधदशमी को गणिनी आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी से
धार्मिक अध्ययन- १९७२ में सोलापुर से ‘‘शास्त्री’’ की उपाधि, १९७३ में ‘‘विद्यावाचस्पति’’ की उपाधि
द्वितीय एवं सप्तम प्रतिमा के व्रत- सन् १९८१ एवं १९८७ में गणिनी आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी से
आर्यिका दीक्षा- हस्तिनापुर में १३-८-१९८९, श्रावण शु. ११ को गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी से
प्रज्ञाश्रमणी की उपाधि- १९९७ में चौबीस कल्पद्रुम महामण्डल विधान के पश्चात् राजधानी दिल्ली में पूज्य गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी द्वारा
पीएच.डी. की मानद उपाधि- तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय मुरादाबाद द्वारा ८ अप्रैल २०१२ को विश्वविद्यालय में
साहित्यिक योगदान- चारित्रचन्द्रिका, तीर्थंकर जन्मभूमि विधान, नवग्रहशांति विधान, भक्तामर विधान, समयसार विधान आदि लगभग १५० से अधिक पुस्तकों का लेखन, वर्तमान में पूज्य गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी द्वारा ‘‘षट्खण्डागम (प्राचीनतम जैन सूत्र ग्रंथ) एवं ‘‘भगवान ऋषभदेव चरितम्’’ की संस्कृत टीकाओं का हिन्दी अनुवाद कार्य ।
‘समयसार’ एवं ‘कुन्दकुन्दमणिमाला’ का हिन्दी पद्यानुवाद, भगवान महावीर स्तोत्र की संस्कृत एवं हिन्दी टीका, भगवान महावीर हिन्दी-अंग्रेजी शब्दकोष, जैन वर्शिप (अंग्रेजी में पूजा, भजन, बारहभावना आदि), भजन (लगभग १०००), पूजन, चालीसा, स्तोत्र इत्यादि लेखन की अद्भुत क्षमता, हिन्दी भाषा के साथ-साथ अंग्रेजी, संस्कृत आदि भाषाओं की सिद्धहस्त लेखिका, गणिनी ज्ञानमती गौरव ग्रंथ एवं भगवान पार्श्वनाथ तृतीय सहस्राब्दि ग्रंथ की प्रधान सम्पादिका ।