विदिशा से 33 कि. मी. दूर बर्रो नाम के एक साधारण से गाँव में हल्कैया धोबी के घर स्वप्न देकर एवं उसके घर के निर्माण में बार बार दीवार गिरने पर जब उस जगह की खुदाई की गई तो एक विशाल प्रतिमा दिखाई दी । यह घट्ना 28 फ़रवरी 1981 की है । प्रतिमा प्राप्ति का समाचार चारों और बिजली की तरह फ़ैल गया एवं सभी जगह से जैन, अजैन दर्शनार्थ हेतु यहाँ पहुचने लगे । प्रतिमाजी को सावधानी पूर्वक निकाला गया एवं एक कमरे में वेदी बनाकर विराजमान कर दिया गया । भूरे बलुआ पाषाण निर्मित यह प्रतिमा आदि तीर्थकर भगवान ऋषभदेव यानी बर्रो वाले बड़े बाबा की है । इस प्रतिमा का निर्माण काल सातवी-आठवी शताब्दी का प्रतीत होता है । क्योंकि इस काल में निर्मित अनेक विशाल प्रतिमायें प्राप्त हुई हैं जिसमें से एक भगवान शीतलनाथ की स्टेशन जैन मंदिर में विराजमान है ।
लोगो ने बड़े बाबा को तो वेदी बनाकर बर्रो ग्राम में विराजमान कर दिया । परन्तु नियति में तो कुछ ओर ही लिखा था । सन 1998 के चातुर्मास के उपरांत मुनि श्री समतासागर जी, मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज बर्रो ग्राम आदिनाथ भगवान के दर्शनाथ गये एवं प्रतिमाजी को विदिशा लाने का प्रयास किया गया, परन्तु बात नहीं बनी । क्योंकि बड़े बाबा को तो छोटे बाबा आचार्य श्री के पावन सानिध्य में उनके आव्हान पर आना था सो धीरे धीरे वह समय भी आया जब आचार्य भगवन पंचकल्याणक महोत्सव में गंजबासौदा पधारे और विदिशा से शीतलविहार न्यास के ट्रस्टी एवं अन्य श्रेष्ठि आचार्य श्री के दर्शन एवं उनको विदिशा आमंत्रित करने गंजबासौदा पहुंचे, आचार्य श्री के दर्शन एवं श्रीफल चढ़ाने के उपरांत बर्रो वाले बाबा का जिक्र आया-शायद समय तो पहले से ही तय था आचार्य श्री ने बड़े बाबा की फोटो देखकर ट्रस्टियों को आशीर्वाद दिया की बर्रो वाले आदिनाथ भगवान को विदिशा शीतलधाम ले आओ ।
फिर क्या था आचार्य श्री के आशीर्वाद मिलते ही सारी विघ्न बाधायें दूर हो गयी और ट्रस्टीगण दुसरे दिन ही विधि विधान से बड़े बाबा को बर्रो से शीतलधाम (हरिपुरा) ले आये यह भी सुखद संयोग एवं अतिशय रहा की जिस समय बड़े बाबा का बर्रो ग्राम से विदिशा के लिये विहार हुआ ठीक उसी समय छोटे बाबा आचार्य श्री के पावन चरण भी विदिशा की ओर चल पड़े और दोनों का मिलन शीतलधाम में हुआ । प्रतिमा के दर्शन कर आचार्य श्री का मन अत्यंत आल्हादित हो उठा और उनके मुखारबिन्द से निकल पड़ा की शीतलनाथ भगवान की त्रय कल्याणक भूमि पर समवशरण मंदिर निर्माण की भूमी हेतु आशीर्वाद देने ही बर्रो वाले बड़े बाबा आदिनाथ भगवान शीतलधाम पधारे है ।