When we have the backbone of humanity, colour of literature and coloured glasses of limitations, why should we see our freedom as a widow.
जब हमारे पास, सभ्यता की नींव, साहित्य का रंग, मर्यादाओं के रंगीन शीशे हैं, तो हम आजादी की दुल्हन को, विधवा के रूप में क्यों देखें ?