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भगवान ऋषभदेव एवं भगवान महावीर

नाभिराज और उनकी रानी मरुदेवी के पुण्यप्रभाव से इंद्र ने ‘‘अयोध्या’’ नगरी की रचना की थी। इनके समय में प्राय: कल्पवृक्षों का अभाव हो गया था, तब नाभिराज ने प्रजा को अच्छे फल आदि खाने को बताए और ईख को पेलकर रस पीने को बताया इसलिये वे इक्ष्वाकुवंशी कहलाये। रानी मरुदेवी ने तीर्थकर वृषभदेव को जन्म दिया। तब देव और इन्द्रों ने मिलकर भगवान को सुमेरु पर्वत पर ले जाकर जन्माभिषेक उत्सव मनाया।
भरत आदि पुत्रों का जन्म … आगे पढ़े
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