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आरती नवग्रह की!

March 10, 2014जिनेन्द्र भक्तिjambudweep

आरती


तर्ज-चाँद मेरे आ जा रे…………

आरती नवग्रह स्वामी की-२ ग्रह शांति हेतू तीर्थंकरों की,

सब मिल करो आरतिया।।टेक.।।

आत्मा के संग अनादी, से कर्मबंध माना है।

उस कर्मबंध को तजकर, परमातम पद पाना है।

आरती नवग्रह स्वामी की।।१।।

निज दोष शांत कर जिनवर, तीर्थंकर बन जाते हैं।

तब ही पर ग्रहनाशन में, वे सक्षम कहलाते हैं।

आरती नवग्रह स्वामी की।।२।।

जो नवग्रह शांती पूजन, को भक्ति सहित करते हैं।

उनके आर्थिक-शारीरिक, सब रोग स्वयं टरते हैं।

आरती नवग्रह स्वामी की।।३।।

कंचन का दीप जलाकर, हम आरति करने आए।

‘‘चन्दनामती’’ मुझ मन में, कुछ ज्ञानज्योति जल जाए।।

आरती नवग्रह स्वामी की।।४।।

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