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एक चिट्ठी—अपनी प्यारी बेटियों के नाम

October 20, 2014कविताएँjambudweep

एक चिट्ठी—अपनी प्यारी बेटियों के नाम



बिटिया रानी तुम परदेश में, लाज हमारी रखना।

खो ना जाए शान हमारी, ऐसे काम न करना।।

नन्ही प्यारी बिटिया रानी, जब बड़ी सयानी होती है।

बाबुल का सीना धक्धक् करता, रातें उनीदीं होती हैं।।

हर पल ये उनको याद रहे, बिटिया तो पराई होती है।

मेहमान हमारे आंगन की, पर घर की इज्जत होती है।।

खो ना जाए शान हमारी ऐसे काम न करना।१। ।।

बिटिया रानी तुम …….।। खो ना जाए 

काश कभी बेटी समझे, माँ—बाप के क्या सपने होते।

बेटी तो घर की लज्जा है, ना कोई कदम कभी भटके।।

घर की मर्यादा बेटी है, हर पल उनको ये याद रहे।

कुल जाति धर्म की कीमत है, नहीं पापकर्म में तो वो अटके।।

है सत्य धर्म—सौगंध तुम्हें, तुम लाज हमारी रखना।।

खो ना जाए शान हमारी ऐसे काम न करना।।२।।

बिटिया रानी तुम…….।। खो ना जाए

यौवन के सुंदर सपनों में, माँ की ममता को याद रखो।

यौवन के चलते रस्ते पर, पापा की इज्जत ध्यान रखो।।

अपने भविष्य की बुनियादें, जो स्वयं बेटियां रखती हैं।

जिस कुल में उनने जन्म लिया, वो उसको धोखा देती हैं।।

है बाबुल की सौगंध तुम्हें, तुम लाज हमारी रखना।

खो ना जाए शान हमारी ऐसे काम न करना।।३।।

बिटिया रानी तुम…….।। खो ना जाए

सांसों में सांस मिलाकर के, मां अपनी सांसे देती है।

बेटों से प्यारी बिटिया है, सारी दुनिया से कहती है।।

निज जीवन की परिणय पाती,माँ—बाप को तुम लिखने देना।

जैसा भी तुमको वर देवें, तुम राम समझकर वर लेना।।

है राम प्रभु—सौगंध तुम्हें, तुम लाज हमारी रखना।

खो ना जाए शान हमारी ऐसे काम न करना।।४।।

बिटिया रानी तुम…….।। खो ना जाए

पढ़ने—लिखने का अर्थ नहीं, माँ बाप को तुम अनपढ़ समझो।

पढ़ने—लिखने का अर्थ नहीं, दुनिया में चाहे जहाँ भटको।।

पढ़ने—लखने का अर्थ नहीं, सब मर्यादा चकचूर करो।

पढ़ने—लिखने का अर्थ नहीं, ना जाति धर्म में भेद करो।।

है वीर प्रभु—सौगंध तुम्हें, तुम लाज हमारी रखना।।५।।

खो ना जाय शान हमारी ऐसे काम न करना।

बिटिया रानी तुम…….।। खो ना जाए

ये प्यार मुहब्बत की बातें, सब बातें—बातें होती हैं।

कागज के फूलों सी खुशबू, दिन दो दिन अच्छी लगती हैं।।

ये कामुकता की कब्वाली, कुछ दिन ही अच्छी लगती है।

इसको मत प्यार समझ बेटी, ये कामुकता की होली है।

है शिव शंकर —सौगंध तुम्हें, तुम लाज हमारी रखना।।६।।

खो ना जाए शान हमारी ऐसे काम न करना ।

बिटिया रानी तुम…….।। खो ना जाए

जो मंजनू तुम्हें लुभाता है, वो कामुकता में अंधा है।

वो भावुकता की दुनिया में, कुछ दिन का गौरख धंधा है।।

इसमें बेटी मत फस जाना, मछली भी ऐसे फसती है।

फिर तड़प—तड़प कर जीवन भर, बिन पानी के मरती है।।

हे ममता की सौगंध तुम्हें, तुम लाज हमारी रखना।।७।।

खो ना जाये शान हमारी, ऐसे काम न करना।।

बिटिया रानी तुम…….।। खो ना जाए

इन पलकों में आंखों जैसा, माँ—बाप ने तुमको पाला है।

भाई ने अपनी बांहों के, झूले में तुम्हें झुलाया है।।

भाई बहन को भूल कभी भी, कार्य ना करना मनमाना।।

बचपन की प्यारी यादों को, बहिना तुम ना ठुकरा जाना।

है भैया की सौगंध तुम्हें, तुम लाज हमारी रखना।।८।।

खो ना जाए शान हमारी ऐसे काम न करना।।

बिटिया रानी तुम…….।। खो ना जाए

मामा—मामी, चाचा—चाची, ताऊ—ताई का ख्याल रखो।

ये सब तुम्हारें अपने हैं, इनका ना यूं तिरस्कार करो।

बदनाम नहीं करना घर को, ना भगकर गंदा काम करो।

माँ—बाप तुम्हारे ईश्वर हैं, उन पर पूरा विश्वास रखो।

है अपनों की सौगंध तुम्हें, तुम लाज हमारी रखना।।

खो ना जाए शान हमारी ऐसे काम न करना।।९।।

बिटिया रानी तुम…….।। खो ना जाए

भवभव में जो मिलना दुर्लभ, जिनधर्म तुम्हीं ने अब पाया।

परम दिगम्बर मुनि आर्यिका, संगति पा मन हर्षाया।।

याद सदा उनकी रखना, तुम कदम कभी न यूं भटके।

सुखशांति सुधा का जो साधक, मन उसको पाने फिर तरसे।

है परमगुरू—सौगंध तुम्हें ,तुम लाज हमारी रखना।

खो ना जाए शान हमारी ऐसे काम न करना।।१०।।

बिटिया रानी तुम…….।। खो ना जाए

चंद दिनों महिनों वर्षों में, जिसको अपना मान लिया।

साथी जीवन भर का जाना, माँ बाप से नाता तोड़ दिया।।

धन यौवन भोग क्षणिक बेटी, पल दो पल साथ निभायेंगे।

मुश्किल के क्षणों में धर्म तथा, माँ—बाप ही काम में आयेंगे।

है जिन शासन —सौगंध तुम्हें, तुम लाज हमारी रखना।

खे ना जाए शान हमारी ऐसे काम न करना।।११।।

बिटिया रानी तुम…….।। खो ना जाए

बेटी जब भाग चली जाती , माँ—बाप की दशा विचार करो।

शर्म से आंखे झुक जाती, लगता पानी में डूब मरो।।

सब समाज में थू—थू होती, छलनी—छलनी दिल हो जाता।

खामोश जिन्दगी रह जाती , अंधियारा दिन में छा जाता।।

हे परमपिता—सौगंध तुम्हें , तुम लाज हमारी रखना।

खो न जाए शान हमारी ऐसे काम न करना।।१२।।

बिटिया रानी तुम…….।। खो ना जाए

प्यारी दीदी तुम कहाँ गई, क्यूं हमें बिलखता छोड़ गई।

प्यार के फूलों से खिलती , परिवार की बगिया तोड़ गई।

यूं छोड़ सभी को जाना था, तो जहर हाथ में दे जाती।

तड़प—तड़प मरने से भला, वो मौत साथ में ले जाती।।

है बहिना की सौगंध तुम्हें, तुम लाज हमारी रखना।

खो ना जाए शान हमारी ऐसे काम न करना।।१३।।

बिटिया रानी तुम…….।। खो ना जाए

मां—बाप सोचकर यूं तड़पे, कमी कौन सी है कर दी।

क्या दूध प्यार में कमी रही, जो जहर जिंदगी में भर दी।।

फिर करें प्रार्थना प्रभुवर से, बेटी भविष्य में न देना।

सुंदर सपने चकचूर हुए, अब अपने पास बुला लेना।।

है गुरूवाणी सौगंध तुम्हें, तुम लाज हमारी रखना।

खो न जाए शान हमारी ऐसे काम न करना।।१४।।

बिटिया रानी तुम…….।। खो ना जाए

 

Tags: Jain Poetries
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