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37. कनेक्शन:आत्मा से परमात्मा तक!

July 31, 2022Surbhi Jain

[[श्रेणी:भक्तामर_की_कथाएं]] ==कनेक्शन:आत्मा से परमात्मा तक==(काव्य छयालीस से सम्बन्धित कथा)मध्ययुगीन इतिहास के पन्नो में जहॉ। भारत की सांस्कृतिक गौरव-गरिमा का सूर्य अस्ताचल की ओर ढलता हुआ दिखलाई देता है, वहीं उसमें कुछ ऐसे स्वर्णिम अध्याय भी हैं जिनमें भक्ति-काल का उदीयमान मार्तण्ड अपनी प्रखर रश्मियों से राजा-प्रजा दोनों को चमत्कृत कर रहा था। मध्ययुग के इसी…

चैतन्य रत्नाकर लाला श्री छोटेलाल जैन!

December 8, 2020Lord ShantinathJain Poetries

[[श्रेणी:कविताएँ]] [[श्रेणी:काव्य_कथानक]] [[श्रेणी:आर्यिका_श्री_रत्नमती_माताजी]] ==चैतन्य रत्नाकर लाला श्री छोटेलाल जैन== श्रीमती त्रिशला जैन, लखनऊ (१) इक गांव बसा है छोटा सा जिसका नाम टिकैतनगर। जहां सुबह सवेरे होती है तैयारी मंदिर की घर घर।। है गुजरे एक सौ बीस बरस रहते थे धन्यकुमार वहां। भार्या थी उनकी फूलमती अच्छे धार्मिक संस्कार अहा।। (२) उनके थे चार…

भगवान महावीर की जीवनगाथा!

June 17, 2020Lord ShantinathJain Poetries

[[श्रेणी:काव्य_कथानक]] [[श्रेणी:भगवान_महावीर_एवं_जन्मभूमि_कुण्डलपुर_से_संबंधित_भजन]] ==भगवान महावीर की जीवनगाथा== जिनधर्म के प्यारे भक्तों तुम इक, नगरी का इतिहास सुनो। नगरी का इतिहास सुनो, तुम मेरी पूरी बात सुनो।। ऋषभदेव पहले तीर्थंकर, अंतिम प्रभु महावीरा थे। नगरि अयोध्या ऋषभदेव की, कुण्डलपुर के वीरा थे।।१।। श्री सर्वार्थ के सुत सिद्धारथ, कुण्डलपुर के राजा थे। धन धान्यादिक वैभवयुत वे, सर्वश्रेष्ठ महाराजा…

जन्मभूमि-जनक-जननी एवं तेरह संतानों के पद्यमयी परिचय!

June 14, 2020Lord ShantinathJain Poetries

[[श्रेणी:काव्य_कथानक]] ==जन्मभूमि-जनक-जननी एवं तेरह संतानों के पद्यमयी परिचय== प्रस्तुति—ब्र. सारिका जैन-संघस्थ (१) जन्मभूमि टिकैतनगर है शाश्वत तीर्थ अयोध्या नगरी, अवध प्रान्त में मानी है। इसके निकटस्थ टिकैतनगर की, अद्भुत-अजब कहानी है।। यह नगरी है उत्तर-प्रदेश के, जनपद बाराबंकी में। यहाँ धर्म में सच्ची भक्ती है, हर बच्चे-बच्चे के मन में।। (२) जनक श्री छोटेलाल जी…

मैं ज्ञानानंद स्वभावी हूँ!

June 11, 2020Lord Shantinath

[[श्रेणी:काव्य संग्रह]] ==मैं ज्ञानानंद स्वभावी हूँ == {{#ev:youtube”hIlcN_ley0c”300″center”}} मैं ज्ञानानंद स्वभावी हूँ, मैं ज्ञानानंद स्वभावी हूँ। मैं हूँ अपने में स्वयं पूर्ण, पर की मुझ में कुछ गंध नहीं। मैं अरस अरूपी अस्पर्शी, पर से कुछ भी संबंध नहीं।। मैं रंग राग से भिन्न, भेद से भी मैं भिन्न निराला हूँ। मैं हूँ अखंड चैतन्य…

निर्ग्रन्थ वन्दना गुरु स्तुति!

June 11, 2020Lord Shantinath

[[श्रेणी:काव्य संग्रह]] ==निर्ग्रन्थ वन्दना == रचनाकार :- आध्यात्मिक कविहृदय लघुनन्दन जैन (बेगमगंज) सागर 200px”center]] त्याग तपस्या लखकर जगके,रोम खड़े हो जाते है-2। ये धरती के देव दिगम्बर,महा मुनि कहलाते है-2॥ उपसर्गों से डिगे नहीं ,सम्मान नहीं अपनाते है। समयसार के समता रस का,पल पल पान कराते है॥ अरघ चढ़े या असी चले पर-2,तनिक नही अकुलाते…

नारी-अभिषेक!

June 11, 2020Lord Shantinath

[[श्रेणी:काव्य संग्रह]] ==नारी-अभिषेक== रचनाकार :- आचार्य श्री गुप्तिनंदीजी जी के सुयोग्य शिष्य मुनिश्री चंद्रगुप्तजी महाराज 280px]] जो नारी तीर्थंकर प्रभु ; को अगर जनम दे सकती है … वो नारी अभिषेक प्रभु का ; कैसे ना कर सकती है … आज काल की विडंबना से ; नारी के अधिकार गए … अधिकारों के दाता प्रभु…

अभिनंदन की बहादुरी को काव्यात्मक सलाम…!

June 11, 2020Lord Shantinath

[[श्रेणी:काव्य संग्रह]] ==अभिनंदन की बहादुरी को काव्यात्मक सलाम…== 700px”center]]

आज के मानव में कलियुग का रूप दिखाई देता है : काव्य रूपक!

June 5, 2020Lord ShantinathJain Poetries

[[श्रेणी:काव्य_कथानक]] [[श्रेणी:अहिंसा_एवं_शाकाहार]] ==”आज के मानव में कलियुग का रूप दिखाई देता है : काव्य रूपक”== तर्ज-एक था बुल और एक थी बुलबुल़…… left”200px”]] आज के मानव में कलियुग का, रूप दिखाई देता है। राम की धरती पर रावण का, रूप दिखाई देता है।।आज के.।। कहते हैं माँ की ममता, बच्चे पर सदा बरसती है। कोई…

भगवान पार्श्वनाथ वन्दना!

June 3, 2020Lord ShantinathJain Poetries

==श्री पार्श्वनाथ वन्दना== शंभु छंद-तर्ज-चंदन सा वदन……….) जय पार्श्व प्रभो! करुणासिंधो! हम शरण तुम्हारी आये हैं। जय जय प्रभु के श्री चरणों में, हम शीश झुकाने आये हैं।।टेक.।। नाना महिपाल तपस्वी बन, पंचाग्नी तप कर रहा जभी। प्रभु पार्श्वनाथ को देख क्रोधवश, लकड़ी फरसे से काटी।। तब सर्प युगल उपदेश सुना, मर कर सुर पद…

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