तीनलोक जिनमन्दिर -प्रश्नोत्तरी!
[[श्रेणी:जैनधर्म_प्रश्नोत्तरी]]
षट् आवश्यक (श्रावक) – Sat Aavashyaka (Shraavaka). Six essential duties of Jaina followers. श्रावक के 6 आवश्यक कर्त्तव्य- दान, पूजा, गुरु की सेवा, स्वाध्याय, संयम और तप “
आवली का प्रमाण अर्थासंदृष्टि के अनुसार आवली का चिह्न २ ( दो ) है जघन्य युक्तासंख्यात प्रमाण समयों की एक आवली होती है” जघन्य युक्तासंख्यात और आवली समान है अर्थात् एक आवली में जघन्य युक्तासंख्यात प्रमाण समय होते हैं ” जघन्य युक्तासंख्यात का प्रमाण – जघन्य परितासंख्यात का विरलन करके अर्थात् जघन्य परितासंख्यात प्रमाण एक-एक…
चांवल चढ़ाने का उद्देश्य हमें यह स्मरण रखना चाहिए कि भगवान के समक्ष कभी खाली हाथ नहीं जायें। जब हम जिन दर्शन को जायें तो अपने हाथों में चांवल (अक्षत) लेकर जायें। चांवल चढ़ाने का उद्देश्य यह है जिस तरह धान से छिलका उतर जाने पर फिर धान बीज रूप में उगाने के लिये बोया…
एक आवली में कतने समय एक आवली में जघन्य युक्ता संख्यात प्रमाण समय होते हैं । उदाहरणार्थ— वर्तमान में जितने भी समुद्र हैं, ऐसे लाखों समुद्रों के जल को एकत्रित कर लो और सुई की नोंक पर जितनी पानी की बूंद आती है, उतनी छोटी—छोटी बूंदे पूरे समुद्रों के जल से जितनी बनेंगी, उतनी संख्या…
पुण्यास्रव स्तोत्र-वृहत् स्रग्विणी सिद्ध की वंदना सर्व आस्रव हरे। वंद्य अरिहंत को पुण्य आस्रव भरें।। सूरि पाठक सभी साधु को वंदते। पाप आस्रव टरें दु:ख को खंडते।।१।। मैं नमूँ मैं नमूँ पंच परमेष्ठि को। रोक शोकादि मेरे सबे दूर हों।। शुद्ध सम्यक्त्व हो ज्ञान ज्योती जगे। शुद्ध चारित्र हो कर्मशत्रू भगें।।२।। जो नमें नाथ को…
अनुबद्ध केवली स्तोत्र गीता छंद तीर्थंकरों के तीर्थ में अनुबद्ध केवलि जिन हुये। बहुतेक यतिगण शिव गये बहुतेक अनुत्तर गये।। बहुतेक मुनि सौधर्म आदिक ग्रैवेयक तक भी गये। उन सर्व यति की यहां वंदना करते सब सुख भये।।१।। शंभु छंद जिस दिन तीर्थंकर मुक्ति गये उस दिन हो केवलज्ञान जिन्हें। फिर उनके मुक्ती जाते ही…