‘‘वीर गाँव के वीरसागर’’ (एक नाटक) (महाराष्ट्र प्रांत के औरंगाबाद जिले में एक छोटे से कस्बे वीर नामक ग्राम में रामसुख नाम के एक श्रेष्ठी रहा करते थे। उन्होंने ‘‘भाग्यवती’’ नाम की धर्मपत्नी को पाकर मानो सचमुच ही राम जैसे सुख को प्राप्त कर लिया था। गंगवाल गोत्रीय ये दम्पत्ति श्रावक कुल के शिरोमणि…
क्षमावणी पर्व का महत्त्व (नाटिका) -ब्र. कु. अलका जैन (संघस्थ) १३-१४ साल की एक बालिका जिसका नाम देशना है वह स्कूल से आती है और अपने बैग को एक कोने में रखती हुई चिल्लाते हुए माँ से कहती है। देशना-माँ, मुझे बहुत तेज से भूख लगी है, मुझे जल्दी से खाना दो। माँ-(अंदर से…
अनन्त चौदश व्रत विधि/कथा अनन्तव्रते तु एकादश्यामुपवास: द्वादश्यामेकभक्तं त्रयोदश्यां काञ्जिकं चतुर्दश्यामुपवासस्तदभावे यथा शक्तिस्तथा कार्यम्। दिनहानिवृद्धौ स एव क्रम: स्मर्त्तव्य:। अर्थ अनन्त व्रत में भाद्रपद शुक्ला एकादशी को उपवास, द्वादशी को एकाशन, त्रयोदशी को कांजी-छाछ अथवा छाछ में जौ, बाजरा के आटे को मिलाकर महेरी-एक प्रकार की कढ़ी बनाकर लेना और चतुर्दशी को उपवास करना…
उत्तम शौच धर्म पर अंग्रेजी नाटिका (5) Greed : The Father of All the Sins (A Play related with Uttam Shauch Dharma) Aryika Swarnmati (Sanghasth) (Participants-Seth Lubdhak (uegyOekeâ) & his wife Nagvasu (veeieJemeg), King Abhayvahan (DeYeÙeJeenve) & Queen Pundrika (hegC[jerkeâe), Two sons of Lubdhak-Garurdatta (ie®Ì[oòe) & Nagdatta (veeieoòe), Some attendants of the King)…
(४) उत्तम सत्य धर्म (नाटिका) आर्यिका सुदृढ़मती (संघस्थ) नाटक के पात्र-राजा सिंहसेन-रानी रामदत्ता, सेठ समुद्रदत्त, पुरोहित शिवभूति (सत्यघोष), बहन जी (पाठशाला की मैडम), २-३ बच्चे, दासी, नागरिक, सत्यघोष की पत्नी, सभासद। प्रथम दृश्य समय- सायंकाल, स्थान-दि. जैन मंदिर का भवन (एक दि. जैन रात्रि पाठशाला का दृश्य जहाँ सभी बच्चे नीचे आसन पर लाइन…
(६) उत्तम संयम धर्म (नाटिका) ब्र. कु. बीना जैन (संघस्थ) नाटक के पात्र-राजा सिंहसेन-रानी रामदत्ता, सेठ समुद्रदत्त, पुरोहित शिवभूति (सत्यघोष), बहन जी (पाठशाला की मैडम), २-३ बच्चे, दासी, नागरिक, सत्यघोष की पत्नी, सभासद। प्रथम दृश्य- समय-सायंकाल, स्थान-दि. जैन मंदिर का भवन (एक दि. जैन रात्रि पाठशाला का दृश्य जहाँ सभी बच्चे नीचे आसन पर लाइन…
(१०) उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म (नाटिका) -ब्र. कु. श्रेया जैन (संघस्थ) नोट – ध्यान दें! नाटक मंचन में जम्बूकुमार एवं उनकी चार पत्नियों को प्रस्तुत करने हेतु बालक-बालक अथवा बालिका-बालिका से ही रोल करायें।) भूमिका– आत्मा ही ब्रह्म है, उस ब्रह्मस्वरूप आत्मा में चर्या करना सो ब्रह्मचर्य है अथवा अनुभूत स्त्री का स्मरण, उनकी…
(७) उत्तम तप धर्म (नाटिका) -ब्र. कु. सारिका जैन (संघस्थ) जिनमंदिर के बाहर का दृश्य है, ४-५ महिलाएँ बाहर निकलते-निकलते आपस में वार्तालाप कर रही हैं- महिला १-बहन! एक बात है दशलक्षण पर्व के दिनों में मन बड़ा प्रसन्न रहता है। महिला २-हाँ बहन! यह बात तो मैं भी महसूस करती हूँ…
(८) उत्तम त्याग धर्म (शास्त्रदान की महिमा)-नाटक -ब्र. कु. इन्दु जैन (संघस्थ) सूत्रधार-मेरे प्यारे भाइयों और बहनों! आज मैं आपको ले चलता हूँ भारतवर्ष के कुरुमरी गाँव में, जहाँ एक ग्वाले ने एक शास्त्र का दान देकर किस प्रकार कालान्तर में दिव्य केवलज्ञान की प्राप्ति कर ली, तो आइए चलते हैं उस प्यारे से…