जैनधर्म और तीर्थंकर परम्परा
जैनधर्म और तीर्थंकर परम्परा द्वारा- पं. शिवचरणलाल जैन , मैनपुरी ( उ. प्र. ) तीर्थंकरों द्वारा प्रतिपादित जैनधर्म अनादिनिधन धर्म है। संसार में अनंतानंत जीव जन्म मरण के दुखों से सन्तप्त हैं। भव भ्रमण का मूल कारण अनादिकालीन कर्मबन्धन हैै। यह कर्मबन्धन मिथ्यादर्शन, मिथ्याज्ञान और मिथ्याचरित्र के कारण संभूत है। जैन मान्यतानुसार जीव, पुदगल, धर्म,…