महापुरुष द्वारा-आर्यिका सुद्रष्टिमति माताजी प्र. ६३३ : शलाका पुरुष मरकर कौन, कहाँ जाते हैं? समझाइये। उत्तर : तीर्थंकर आयु पूर्ण होने पर मरकर मोक्ष जाते हैं। चक्रवर्ती परिणामानुसार स्वर्ग, नरक या मोक्ष जाते हैं। बलभद्र मरकर स्वर्ग या मोक्ष जाते हैं। परन्तु अवशिष्ट बचे हुये नारायण सभी और प्रतिनारायण सभी नियम से नरक में ही…
शरीर द्वारा-आर्यिका सुद्रष्टिमति माताजी प्र. ६१७ : शरीर का स्वरूप उदाहरण के द्वारा स्पष्ट कीजिए ? उत्तर : कविवर भूधरदासजी ने शरीर के स्वरूप का वर्णन करते हुये बताया है कि माता-पिता रजवीरज सों उपजी, सब धातु कुधातु भरी है। माखिन के पर माफिक बाहर चर्म की बेठन बेड़ धरी है। नाहि तो आय लगें…
तीर्थयात्रा प्र. ५७६ : यात्राओं का जीवन में क्या महत्व है? उत्तर : यात्राओं की जीवन में महती आवश्यकता है। तीर्थों के नाम से अंतरंग सुप्त प्रमाद सिंह गर्जना करता हुआ भाग खड़ा होता है। वीरत्व की ज्योति जागती है, उत्साह के सुमन खिलने लगते हैं। प्रयाण करते ही आनंदधारा छलछलाती-उछलती हुई प्रवाहित होने लगती…