सफलता के सात भेद १. छत ने कहा ऊँचे उद्देश्य रखो। २. पंखे ने कहा ठन्डे रहो हमेशा शांत भाव से निर्णय करो। ३. घड़ी ने कहा हर मिनट कीमती है। ४. शीशे ने कहा कुछ करने से पहले अपने अंदर झांक लो। ५. खिड़की ने कहा दुनिया को देखो। हमारा स्वभाव जानना देखना है…
दवाइयां देख भालकर ही लें कई बार रखी हुई दवाइयां महीनों और वर्षों तक पड़ी रहती हैं और उनके कवर पर उनकी एक्सपायरी डेट भी न होने से या किसी कारण से नहीं पड़ी जा सकती है। यदि इन गोलियों का रंग पीला हो गया है या उन में से सिरके जैसी बदबू आ रही…
कमाल का संयोग # राजस्थान – Royal Place # सूरत – Face # उत्तर प्रदेश – Answer State # महाराष्ट्र – Great Country # श्रीनगर – Mr. City # नैनीताल – Rhythm of Eyes # कन्या कुमारी – Unmarried Girl # बनारस – Make Juice # कर्नाटक – Do Drama # राजकोट – King’s Coat…
आपके रसोईघर का वास्तु मकान के महत्वपूर्ण अंग रसोईघर का निर्माण कैसा हो तथा रसोईघर में सामान को कहां—कहां किस दिशा में रखा जाए आदि जानकारी दे रहे हैं, जो आप सभी के लिए उपयोगी होगी। # रसोईघर का प्रवेशद्वार दक्षिण दिशा में नहीं बनाना चाहिए, शेष तीन दिशाओं में बनाया जा सकता है। #…
शांतिनाथ विधान मंत्र शांति मंत्र – ॐ ह्रीं श्रीशांतिनाथाय जगत् शांतिकराय सर्वापद्रवशांतिं कुरु कुरु ह्रीं नम:।(१२० वंदना मंत्र)ॐ ह्रीं श्रीशांतिनाथाय अशोकतरुसत्प्रातिहार्यमण्डिताय अशोकतरुशोभन-पदप्रदाय हम्ल्व्य्र्रूं बीजाय सर्वोपद्रवशांतिकराय नम:।।१।। ॐ ह्रीं श्रीशांतिनाथाय सुरपुष्पवृष्टिसत्प्रातिहार्यमंडिताय सुरपुष्पवृष्टिशोभन-पदप्रदाय भम्ल्व्य्र्रूं बीजाय सर्वोपद्रवशांतिकराय नम:।।२।। ॐ ह्रीं श्रीशांतिनाथाय दिव्यध्वनिसत्प्रातिहार्यमंडिताय दिव्यध्वनिशोभन-पदप्रदाय मम्ल्व्र्यूंर बीजाय सर्वोपद्रवशांतिकराय नम:।।३।। ॐ ह्रीं श्रीशांतिनाथाय चामरोज्ज्वलसत्प्रातिहार्यमंडिताय चामरोज्ज्वल शोभन-पदप्रदाय रम्ल्व्र्यूंर बीजाय सर्वोपद्रवशांतिकराय…
बड़ी सामायिक ( देववंदना विधि ) (सामायिकभाष्य ग्रन्थ से) ईर्यापथशुद्धि पडिक्कमामि भंते! इरियावहियाए विराहणाए अणागुत्ते अइगमणे, णिग्गमणे, ठाणे, गमणे, चंकमणे, पाणुग्गमणे, बीजुग्गमणे, हरिदुग्गमणे, उच्चार-पस्सवण-खेल-सिंहाणय-वियडिय पइट्ठावणियाए, जे जीवा एइंदिया वा, बेइंदिया वा, तेइंदिया वा, चउिंरदिया वा, पंचिंदिया वा, णोल्लिदा वा, पेल्लिदा वा, संघट्टिदा वा, संघादिदा वा, उद्दाविदा वा, परिदाविदा वा, किरिंच्छिदा वा, लेस्सिदा वा,…
देववंदना (सामायिक)(हिन्दी पद्यानुवाद) ईर्यापथ शुद्धि दोहा- हे भगवन् ! ईर्यापथिक, दोष विशोधन हेतु। प्रतिक्रमण विधि मैं करूँ, श्रद्धा भक्ति समेत।।१।। चौबोल छंद गुप्ति रहित हो षट्कायों की, मैं विराधना जो करता। शीघ्र गमन प्रस्थान ठहरने, चलने में अरु भ्रमण किया।।२।। प्राणीगण पर गमन, बीज पर गमन, हरित पर चला कहीं। मल मूत्रादि नासिका मल…