स्थिति सत्त्व स्थान!
स्थिति सत्त्व स्थान – Sthiti Sattva sthaana. Existing places of karmic states.अविचल, कर्मों की स्थिति के सत्ता रुप विविध स्थान।
स्थिति सत्त्व स्थान – Sthiti Sattva sthaana. Existing places of karmic states.अविचल, कर्मों की स्थिति के सत्ता रुप विविध स्थान।
श्री ऋषभदेव भरत-बाहुबली स्तुति दोहा ज्ञान ज्योति में तव दिखे, लोक अलोक समस्त।नमूं नमूं मैं भक्ति से, मम पथ करो प्रशस्त।।१।। शंभु छंद जय जय आदीश्वर तीर्थंकर, तुम ब्रह्मा विष्णु महेश्वर हो।जय जय कर्मारिजयी जिनवर, तुम परमपिता परमेश्वर हो।।जय युगस्रष्टा असि मषि आदिक, किरिया उपदेशी जनता को।त्रय वर्ण व्यवस्था राजनीति, गृहिधर्म बताया परजा को।।२।।निज पुत्र…
केवलज्ञान लक्ष्मी स्तुति दोहा पूर्णज्ञान लक्ष्मी महा, मुक्ति सहेली सिद्ध।नमूं नमूं नित भक्ति से, पाऊँ सौख्य समृद्ध।।१।। चाल-हे दीनबंधु——— जय जय अनंत गुण समूह सौख्य करंता।जय जय श्री अरिहंत घातिकर्म के हंता।।जय जय अनंतदर्श ज्ञानवीर्य सुख भरे।जय जय समवसरण विभूति सर्व निधि धरें।।२।।केवलरमा को सेवतीं संपूर्ण ऋद्धियाँ।उस आगे आगे दौड़ती हैं सर्व सिद्धियाँ।।सब भूत भविष्यत्…
श्री भरतस्वामी स्तुति दोहा निजानंद पीयूषरस, निर्झरणी निर्मग्न।नमूं नमूं नित भक्ति से, होऊँ गुण सम्पन्न।।१।। नरेन्द्र छंद चिन्मय ज्योति चिदंबर चेतन चिच्चैतन्य सुधाकर।जय जय चिन्मूरत चिंतामणि चिंतितप्रद रत्नाकर।।मरुदेवी के पौत्र आप हे यशस्वती के नंदन।हे स्वामिन्! स्वीकार करो अब मेरा शत-शत वंदन।।२।।आदिब्रह्मा ऋषभदेव से विद्या शिक्षा पाई।संस्कारों से संस्कारित हो आतम ज्योति जगाई।।भक्ति मार्ग…
श्री बाहुबलि स्तुति शंभु छंद जय जय श्रीबाहुबली भगवन्, जय जय त्रिभुवन के शिखामणी।जय जय महिमाशाली अनुपम, जय जय त्रिभुवन के विभामणी।।जय जय अनंत गुणमणिभूषण, जय भव्य कमल बोधन भास्कर।जय जय अनंत दग ज्ञानरूप, जय जय अनंत सुख रत्नाकर।।१।।तुम नेत्र युद्ध जल मल्ल युद्ध, में चक्रवर्ति को जीत लिया।चक्री ने छोड़ा चक्ररत्न, उसने भी तुम…
सिद्ध परमेष्ठी स्तुति दोहा सकल सिद्ध परमात्मा, निकल अमल चिद्रूप।नमूं नमूं नित भक्ति से, सिद्धचक्र शिव भूप।।१।। (चाल-हे दीन बंधु श्रीपति……) जै सिद्धचक्र मध्यलोक से भये सभी।जै सिद्धचक्र तीनकाल के कहे सभी।।जै जै त्रिलोक अग्रभाग पे विराजते।जै जै अनादि औ अनंत सिद्ध सासते।।२।।जो जम्बूद्वीप से अनंत सिद्ध हुए हैं।क्षारोदधी से भी अनंत सिद्ध हुए…
श्री गौतम स्वामी स्तुति दोहा परमब्रह्म परमात्मा, परमानंद निलीन।नमूं नमूं नित भक्ति से, होवे भवदुखक्षीण।।१।। रोला छंद जय जय गणधर देव, जय जय गुण गण स्वामी।महावीर जिनदेव, समवसरण में नामी।।जय जय विघ्न समूह, नाशक विश्व प्रसिद्धा।सप्तऋद्धि परिपूर्ण, चार विज्ञान समृद्धा।।२।।इन्द्रभूति तुम नाम, महाविभूति प्रदाता।ब्राह्मण कुल अवतंस, गौतम गोत्र विख्याता।।शास्त्र महोदधि तीर्ण, पांच शतक तुम छात्रा।तुम…
जिनेन्द्र स्तुति संग्रह की प्रशस्ति चौबीस तीर्थंकर को वंदूं माँ सरस्वती को नमन करूँ।गणधर गुरु के सब साधु के श्री चरणों में नित शीश धरूँ।।इस युग में कुंदकुंदसूरी, का अन्वय जगत् प्रसिद्ध हुआ।इसमें सरस्वती गच्छ बलात्कार गण अतिशायि समृद्ध हुआ।।१।।इस परम्परा में साधु मार्ग, उद्धारक दिग्अंबर धारी।आचार्य शांतिसागर चारित्र—चक्रवर्ती पद के धारी।।इन गुरु के पट्टाधीश…
प्रभु पतित पावन ..( स्तुति ) प्रभो! पतित पावन मै अपावन, चरन आयो शरण जी । यों विरद आप निहार स्वामी, मेट जामन—मरन जी ।। तुम ना पिछान्या आन मान्या, देव विविध प्रकार जी । या बुद्धि सेती निज न जान्यो, भ्रम गिन्यो हितकार जी ।। भव विकट वन में करम वैरी, ज्ञान धन मेरो…
समवसरण सिद्धार्थ वृक्ष स्तोत्र नरेन्द्र छंद समवसरण में छठी भूमि है, कल्पवृक्ष की सुंदर। चारों दिश में एक-एक, सिद्धार्थ वृक्ष हैं मनहर।। इनमें चारों दिश इक इक हैं, सिद्धों की प्रतिमायें। हम वंदे नित शीश नमा कर, इच्छित फल पा जायें।।१।। चाल—हे दीनबंधु— श्री आदिनाथ का समोसरण विशाल हैं। ध्वजभू को वेढ़ रजतमयी तृतिय साल१…