12. धर्म का लक्षण
धर्म का लक्षण ‘‘जो संसार के दुख से प्राणियों को निकालकर उत्तम सुख में पहुँचाता है, वह धर्म है।’’ ‘‘रत्नत्रय स्वरूप धर्म के ईश्वर ऐसे श्री जिनेन्द्र भगवान सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र को धर्म कहते हैं। इनसे विपरीत मिथ्यादर्शन, मिथ्याज्ञान और मिथ्याचारित्र संसार के कारण होते हैं।’’ सम्यग्दर्शन ‘‘सच्चे देव, शास्त्र, गुरु का तीन मूढ़ता…