Jambudweep - 7599289809
encyclopediaofjainism@gmail.com
About Us
Facebook
YouTube
Encyclopedia of Jainism
  • विशेष आलेख
  • पूजायें
  • जैन तीर्थ
  • अयोध्या

गुरु मंगलाष्टक

November 28, 2014कविताएँjambudweep

गुरु मंगलाष्टक



संघ सहित श्री कुन्दकुन्द गुरु, वंदन हेतु गये गिरनार।

वाद पर्यो तहँ संशयमति सो, साक्षीवदी अंबिकाकार’’

सत्य पंथ निरग्रंथ दिगम्बर, कही सुरी तहँ प्रगट पुकार।

सो गुरुदेव बसो उर मेरे, विघन हरण मंगल करतार।।१।।

स्वामी समंतभद्र मुनिवर सो, शिवकोटी हठ कियो अपार।

वंदन करों शंभु पिंडी को, तब गुरु रच्यो स्वयंभू भार।।

वंदन करत पिंडीका में से, प्रगट भये जिन चंद्र उदार।

सो गुरुदेव बसो उर मेरे, विघन हरण मंगल करतार।।२।।

श्री अकलंक देव मुनिवर सो, वाद रच्यो जहँ परत विचार।

तारादेवी घट में थापी, पट के ओट करत उच्चार।।

जीत्यो स्याद्वाद बल मुनिवर, बौद्ध बोध तारा मदटार।

सो गुरुदेव बसो उर मेरे, विघन हरण मंगल करतार।।३।।

श्रीमत विद्यानंदि जबै, श्री देवागम थुति सुनी सुधार।

अर्थ हेतु पहुँच्यो जिनमंदिर, मिल्यो अर्थ तहँ सुख दातार।।

तब व्रत परम दिगम्बर को धर, परमत को कीनो परिहार।

सो गुरुदेव बसो उर मेरे, विघन हरण मंगल करतार।।४।।

श्रीमत मानतुंग मुनिवर पर, भूप कोप जब कियो गंवार।

बंद कियो ताले में तब ही, भक्तामर गुरु रच्यो उदार।।

चक्रेश्वरी प्रगट तब ह्वैके, बंधन काट कियो जयकार।

सो गुरुदेव बसो उर मेरे, विघन हरण मंगल करतार।।५।।

श्रीमत वादिराज मुनिवर सों, कह्यो कुष्ट भूपति जिहँबार।

श्रावक सेठ कह्यो तिहँ अवसर, मेरे गुरु कंचन तन धार।।

तब ही एकीभाव रच्यौ गुरु, तन सुवरणद्युति भयो अपार।।

सो गुरुदेव बसो उर मेरे, विघन हरण मंगल करतार।।६।।

श्रीमद् कुमुदचंद्र मुनिवर सों, वाद पर्यो जहँ सभा मंझार।

तब ही श्री कल्याण धाम थुति, श्री गुरु रचना रची अपार।।

तब प्रतिमा श्री पार्श्वनाथ की, प्रगट भई त्रिभुवन जयकार।

सो गुरुदेव बसो उर मेरे, विघन हरण मंगल करतार।।७।।

श्रीमत अभयचंद्र गुरु सो जब, दिल्लीपति इमि कही पुकार।

कै तुम मोहि दिखावहु अतिशय, कै पकरौ मेरो मतसार।।

तब गुरु प्रगट अलौकिक अतिशय, तुरत हर्यो तोको मदभार।

सो गुरुदेव बसो उर मेरे, विघन हरण मंगल करतार।।८।।

दोहा

विघन हरण मंगल करण, वांछित फल दातार।

‘वृन्दावन’ अष्टक रच्यो, करौ कंठ सुखकार।।

Tags: Jain Poetries
Previous post धर्म की गिनती Next post सभ्यता और संस्कृति में अंतर

Related Articles

तृष्णाष्टक

February 6, 2014jambudweep

ज्ञानसुधामृत

May 14, 2020Indu Jain

भगवान अरनाथ वन्दना

January 18, 2020jambudweep
Privacy Policy