Jambudweep - 7599289809
encyclopediaofjainism@gmail.com
About Us
Facebook
YouTube
Encyclopedia of Jainism
  • विशेष आलेख
  • पूजायें
  • जैन तीर्थ
  • अयोध्या

धर्मनाथ भगवान की आरती!

October 12, 2020जिनेन्द्र भक्तिjambudweep

भगवान श्री धर्मनाथ की आरती

 
 
तर्ज—मन डोले, मेरा तन डोले………..
जय धर्मप्रभू , करूणासिन्धू की मंगल दीप प्रजाल के
मैं आज उतारूं आरतिया ।।टेक.।।
पन्द्रहवें तीर्थंकर जिनवर, धर्मनाथ सुखकारी।
तिथि वैशाख सुदी तेरस, गर्भागम उत्सव भारी।।
प्रभू गर्भागम उत्सव भारी………..
सुप्रभावती, माता हरषीं, पितु धन्य भानु महाराज थे,
मैं आज उतारूँ आरतिया।।जय धर्म…..।।१।।
रत्नपुरी में रत्न असंख्यों, बरसे प्रभु जब जन्मे।
गिरि सुमेरु की पांडुशिला पर, इन्द्र न्हवन शुभ करते।।
प्रभू जी इन्द्र …………………
कर जन्मकल्याणक का उत्सव, महिमा गाएं जिननाथ की,
मैं आज उतारूँ आरतिया।।जय धर्म…..।।२।।
वैरागी हो जब प्रभु ने, दीक्षा की मन में ठानी।
लौकान्तिक सुर स्तुति करके, कहें तुम्हें शिवगामी।।
प्रभू जी कहें………………….
कह सिद्ध नम:, दीक्षा धारी, मुनियों में श्रेष्ठ महान थे,
मैं आज उतारूँ आरतिया।।जय धर्म…..।।३।।
केवलज्ञान प्रगट होने पर, अर्हत् प्रभु कहलाए।
द्वादश सभा रची सुर नर मुनि, ज्ञानामृत को पाएं।।
प्रभू जी ज्ञानामृत को पाएं…………
केवलज्ञानी, अन्तर्यामी, कैवल्यरमापति नाथ की
मैं आज उतारूँ आरतिया।।जय धर्म…..।।४।।
ज्येष्ठ सुदी शुभ आई चतुर्थी, शिवपद प्राप्त किया था।
श्री सम्मेदशिखर गिरिवर से, शिवपद प्राप्त किया था।।
प्रभू जी शिवपद…………
चंदनामती तव चरण नती, कर पाऊँ सुख साम्राज्य भी
मैं आज उतारूँ आरतिया।। जय धर्म…..।।५।।

Tags: Aarti
Previous post जृंभिका तीर्थ की आरती! Next post धर्मचक्र विधान की आरती!

Related Articles

तीस चौबीसी विधान की आरती!

October 12, 2020jambudweep

गणिनी ज्ञानमती माताजी की आरती-5

October 11, 2020jambudweep

मल्लिनाथ की आरती!

June 10, 2020jambudweep
Privacy Policy