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भगवान महावीर की जन्मभूमि कुण्डलपुर!

July 23, 2019जैनधर्मjambudweep

भगवान महावीर की जन्मभूमि कुण्डलपुर



भगवान महावीर की जन्मभूमि कुण्डलपुर है या वैशाली। यह विवाद समाज के सामने आया, किंतु सभी चुप रहे। पूज्य गणिनी आर्यिका ज्ञानमती माताजी इस आगम विरुद्ध बात को बिल्कुल सहन नहीं कर सकतीं। प्राचीन काल से अभी तक कुण्डलपुर का प्राचीन मंदिर और वहाँ होने वाली अनवरत भक्ति पूजा वहाँ की प्राचीनता का केन्द्र बनी हुई है तथा पूर्वाचार्यों द्वारा प्रणीत शास्त्र ही साक्षी हैं। कुण्डलपुर स्वयं ही प्राचीनता को प्रकट करने वाला इतिहास है। माताजी ने २००१ में दिल्ली से यह घोषणा की कि भगवान महावीर की जन्मभूमि कुण्डलपुर (नालंदा) है। क्षेत्र के विकास हेतु दिल्ली का जन समुदाय सैकड़ों की धनराशि लेकर कुण्डलपुर चल पड़ा और एक वर्ष में विशाल मंदिर, नंद्यावर्त महल और धर्मशाला बनवाकर तैयार कर दिया। यह प्रभाव माताजी के व्यक्तित्व का है। माताजी ने भगवान महावीर की दिव्यदेशना को अक्षुण्ण (कायम) रखने के लिए अनेक ग्रंथों की टीकाएं, स्वतंत्र रचना संस्कृत, हिन्दी, प्राकृत भाषा में की हैं। अनेक विधानों को बनाकर जन समुदाय को भक्तिरस से पल्लवित कर दिया है। सभी रचनाएं आगमोक्त और सर्वोपयोगी हैं। माताजी वास्तव में सरस्वती की प्रतिमूर्ति हैं। इन्होंने जिनमार्ग की प्रभावना तथा समाज को जो देन दी है वह उद्धार का सर्वोपरि मार्ग है। इस प्रकार धर्मकार्य, धर्मप्रभावना तथा धर्मतीर्थों की रक्षा का कार्यभार वहन करने की सामथ्र्य अन्य में नहीं देखी गई है। दूसरी ओर विरोधी दल असत्य का प्रचार कितना भी करे। किन्तु विजय सत्य की ही होती है। भगवान महावीर जिस मार्ग पर चल कर कर्म विजयी बने, उसी मार्ग का अनुसरण करने वाली पूज्य माताजी हैं, इन्होंने स्वहित के साथ-साथ परहित भी किया है, न जाने कितने मुमुक्षु भाई बहिनों को मोक्ष पथ के पथिक बनाया है। उनमें से मैं भी इन महोपकारी माँ की शिष्या हूँ, जिन्होंने संरक्षण करके एवं शिक्षित करके गुरु और माँ के दायित्व को निभाया, इन वात्सल्यमूर्ति गुरु माँ का ऋण जन्म-जन्मान्तरों में भी पूरा नहीं किया जा सकता। इनके अपार गुणों का वर्णन करने की मेरे में शक्ति नहीं है, अंतरंग से यही भाव उजागर होते हैं कि मोक्ष जाने तक इसी माँ का मार्गदर्शन मिले।

 

Tags: Lord Mahaveer
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