Jambudweep - 7599289809
encyclopediaofjainism@gmail.com
About Us
Facebook
YouTube
Encyclopedia of Jainism
Search
विशेष आलेख
पूजायें
जैन तीर्थ
अयोध्या
माँ बतलाओ आदिनाथ क्यों पूजे जाते हैं!
August 3, 2017
कहानियाँ
jambudweep
माँ बतलाओ आदिनाथ क्यों पूजे जाते है
माँ बतलाओ आदिनाथ क्यों पूजे जाते है।
ऐसा क्या कुछ किया कि वो भगवान कहाते हैं।
माँ बोली बेटा दुनियाँ में दो गुण जिसमें हो।
ज्ञान शक्ति का मिले समागम सच्चा ज्ञानी वो।
ऋषभेशवर ये नाम उन्हीं गुणशाली बालक का जन्म हुआ तब नाम रखा श्री ऋषभदेव उनका।
देख देख सुंदरता माँ मरुदेवी मुदित हुई नाभिराज घर ख़ुशियाँ छायी नभ से ध्वनि हुई।।
इंद्र लोग तब लेकर आये वस्त्राभूषण थे जो पहनाये शचि ने प्रभु को रत्नजडित थे वे।
रूप सुहाना देख प्रभु का नेत्र हज़ार किये नृत्य किया सबने मिल ऐसा जय जयकार लिये।।
एक दिवस की घटना जब चंदा सूरज देखे घबडा़ कर जनता आई थी प्रभु से वे पूछे।
घबडा़ओ मत कल्पवृक्ष की ज्योति पडी़ धीमी इच्छाएँ जब बढी़ लुप्त हो गई सभी वस्तुएँ भी।।
असि मसि कृषि आदिक षट्किरिया उनको बतलाई कैसे अन्न उगाओ कैसे दूध गाय आदी।।
तभी से वे युग पुरूष आदिबृम्हा भी कहलाये सबको दे उपदेश अत: आदिश्वर कहलाये।।
नगर अयोध्या में जन्मे और जब वैराग्य हुआ जाके नगर प्रयाग में उनने मुनिवृत धार लिया।।
एक वर्ष तक घूमे पर आहार विधि न मिली पहुँचें नगर हस्तिनापुर में तब थी मिली विधि।।
नृप श्रेयाँस ने इक्षुरस का जब आहार दिया अक्षय तृतीया पर्व तभी से जग विख्यात हुआ।
गिरी कैलाश शिखर से उनने मुक्ति प्राप्त करी आज बन गयी उनकी प्रतिमा मांगीतुंगी गिरी।।
दिव्य शक्ति माताजी की यह सारा जग कहता वरना जिनवर महाविंब निर्माण न हो सकता।
माताजी की शक्ति प्रेरिका बनी चन्दना जी और रवीन्द्र कीर्ति स्वामी की कठिन तपस्या भी।।
रत्नत्रयसम तीनों जग में बड़े पुण्यशाली “त्रिशला” का वंदन स्वीकारो हे महिमाधारी।।
Tags:
Jain Poetries
Previous post
खिलवाड़!
Next post
क्या मुनि रात्रि में बोल सकते हैं?!
Related Articles
गुरु मंगलाष्टक
November 28, 2014
jambudweep
नवम भव पूर्व-“ललितांग देव”
September 19, 2017
jambudweep
अभिनंदन की बहादुरी को काव्यात्मक सलाम
June 11, 2020
jambudweep
error:
Content is protected !!