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श्री क्षेत्रपाल चालीसा!

May 1, 2020जिनेन्द्र भक्तिjambudweep

श्री क्षेत्रपाल चालीसा 

क्षेत्रपाल महाराज को, मन मंदिर में ध्याय ||

लिखने का साहस करूं,चालीसा सुखदाय ||१||

विघ्नहरण मंगलकरण,क्षेत्रपाल महाराज ||

करूं भक्ति श्रद्धा सहित,पूर्ण करो सब काज ||२||

 

चौपाई

जैनधर्म प्राकृतिक कहाया,ग्रन्थ पुराण में है बतलाया ||१||

उसमें वर्णित कई वाक्य हैं,तीर्थंकर प्रभु वचन सार्थ हैं ||२||

हुए पूज्य आचार्य हमारे,उन वचनों को मन में धारें ||३||

पुनः प्राणि हित बतलाया है,जिसने उसको अपनाया है ||४||

वह समयग्दृष्टी कहलाया ,ऊर्ध्वगती को उसने पाया ||५||

पूज्यपाद आचार्य एक हैं, कई ग्रन्थ रचनाएं की हैं ||६||

उनने हम सबको बतलाया ,पंचामृत अभिषेक बताया ||७||

और बताया एक वाक्य है,शासन देवी देव मान्य हैं ||८||

सब सम्यग्द्रष्टी कहलाए ,जिनशासन रक्षक बतलाए ||९||

उनके वचनों पे श्रद्धा कर,करें विराजित मंदिर अंदर ||१०||

जिनवर सम नहिं पूज्य किन्तु ये,आदर करने योग्य कहे हैं ||११||

जो माने नहिं मिथ्याद्रष्टी ,भक्त पे करें कृपा की वृष्टी ||१२||

उनमें क्षेत्रपाल जगनामी ,हर शुभ कार्य में पूजा मानी ||१३||

उनका आव्हानन करते हैं, सब निर्विघ्न कार्य होते हैं ||१४||

राजस्थान में जिला करौली, ग्राम डाबरा कथा अनोखी ||१५||

क्षेत्रपाल बाबा का मंदिर, मेला हो भादों सुदि नवमी ||१६||

सहस वर्ष पहले की घटना, पराड्या वंशज द्वारा बनना ||१७||

मनोकामनापूरक बाबा, हरते भूत प्रेत की बाधा ||१८||

संकट सारे पल में नाशें, विघ्न नाम जपने से भागें ||१९||

सकल सौख्य के पूरक दाता, धन सम्पति सौभाग्य प्रदाता ||२०||

परम कृपाला, दीनदयाला , हर मंदिर में इनका आला ||२१||

देव,शास्त्र,गुरु आयतनों की,रक्षा में तत्पर रक्षक जी ||२२||

भारत में कई एक तीर्थ हैं ,जहां विराजे बाबाजी हैं ||२३||

बड़ी मान्यता कई जगह है,करते सब तैलाभिषेक हैं ||२४||

क्षेत्रपाल की अर्चा करते, सब मनवान्छा पूरी करते ||२५||

शाश्वत श्री सम्मेदशिखर जी,बड़ी मान्यता है बाबा की ||२६||

अगर मार्ग से कोई भटके, वाहन आकर संकट हर ले ||२७||

मार्ग दिखाता रक्षा करता, भक्त स्वयं मुख से यह कहता ||२८||

यात्रा कठिन मगर पूरी हो, हर्षित मन सब नर-नारी हों ||२९||

पांच नाम इनके बतलाए , विजय वीर मणिभद्र कहाए ||३०||

अपराजित भैरव भी नाम है, उनको शत मेरा प्रणाम है ||३१||

कूकर वाहन कहा आपका, इक कर में तिरशूल शोभता ||३२||

अतदाकार व तदाकार हैं, तदाकार में प्रभु विराजते ||३३||

जम्बूद्वीप हस्तिनापुर में, बाबा राजें जिनमंदिर में ||३४||

भक्त मनौती वहाँ मनाते, सथिया उल्टी वहाँ बनाते ||३५||

मन की इच्छा पूरी होती, आकर वहाँ जलाते ज्योती ||३६||

बना साथिया सीधी फिर से,तेल सिंदूर हैं अर्पण करते ||३७||

रक्षकदेव बड़े अतिशायी, बिगड़ी सबकी खूब बनाई ||३८||

मैं भी द्वार तिहारे आया, सांसारिक दुःख से अकुलाया ||३९||

हे सम्यग्द्रष्टी बाबाजी, मेरे सारे कष्ट हरो जी ||४०||

 

शम्भु छंद 

जिनशासन के रक्षक देवा, संकटहर्ता मंगलहर्ता |

तेरा आराधन अरु सुमिरन,भक्तों की झोली है भरता ||

महिमा तेरी है बहुत सुनी,इसलिए ‘इंदु’ली तुम शरणा |

जिनधर्म में श्रद्धा बनी रहे, अंतिम क्षण प्रभू ध्यान मन मा ||१||

Tags: Chalisa
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