Jambudweep - 7599289809
encyclopediaofjainism@gmail.com
About Us
Facebook
YouTube
Encyclopedia of Jainism
  • विशेष आलेख
  • पूजायें
  • जैन तीर्थ
  • अयोध्या

सम्मेदशिखर सिद्धक्षेत्र की आरती!

June 11, 2020जिनेन्द्र भक्तिjambudweep

सम्मेदशिखर सिद्धक्षेत्र की आरती

 
 
 
 
 तर्ज—मैं तो ………….
 
मैं तो आरती उतारूँ रे, सम्मेदगिरिवर की,
जय जय सम्मेदशिखर, जय जय जय-२।।टेक.।।
कहा शाश्वत है यह गिरिराज, अनादी कालों से-अनादी कालों से।
मुक्ति वरते यहीं से जिनराज, अनादी कालों से-अनादी कालों से।।
पावन है, पूज्य है, गिरिवर की धूल है, सिर पे चढ़ाओ जी,
हो धूली सिर पे चढ़ाओ जी।।मैं तो……।।१।।
इस युग के जिनेश्वर बीस, मुक्त हुए यहीं से—मुक्त हुए यहीं से।
बने सिद्धशिला के ईश, नमन करूँ रूचि से-नमन करूं रूचि से।।
आरती का थाल ले, भक्ति सुमन माल ले, सबको बुलाऊँ मैं,
हो भक्तों की टोली बुलाऊँ मैं।।मैं तो……।।२।।
इक बार भी जो वन्दना, करे इस गिरिवर की—करे इस गिरिवर की।
उनको मिलती न उस भव से, नरक अरु पशुगति भी-नरक अरु पशुगति भी।।
मैं भी इसी भाव से, शुभ गती की चाव से, भक्ती रचाऊँ रे,
हो गिरि पर चढ़ करके जाऊँ रे।।मैं तो…….।।३।।
सांवरिया का है चमत्कार, सम्मेदाचल में—सम्मेदाचल में।
पारस पारस की ही है पुकार, आज भी मधुवन में-आज भी मधुवन में।।
‘‘चंदनामति’’ भक्ति में, आज भी शक्ति है, उसमें ही रम जाओ रे,
हो गिरि की आरति का फल पाओ रे।।मैं तो……।।४।। 
 
Tags: Aarti
Previous post ह्रीं प्रतिमा की आरती! Next post सुमतिनाथ की आरती!

Related Articles

तीस चौबीसी विधान की आरती!

October 12, 2020jambudweep

वाराणसी तीर्थ की आरती!

June 11, 2020jambudweep

तीन चौबीसी विधान की आरती!

February 18, 2017jambudweep
Privacy Policy