Jambudweep - 7599289809
encyclopediaofjainism@gmail.com
About Us
Facebook
YouTube
Encyclopedia of Jainism
  • विशेष आलेख
  • पूजायें
  • जैन तीर्थ
  • अयोध्या

आदिनाथ भगवान के पूर्व भव!

June 24, 2018जैनधर्मjambudweep

०१. आदिनाथ भगवान के पूर्व भव!


हे नाथ! आप ‘महाबल’-अतुल्यबल के धारक हैं अथवा इस भव से पूर्व दशवें भव में महाबल विद्याधर थे इसलिए आपको नमस्कार हो। आप ‘ललितांग’ हैं-सुन्दर शरीर को धारण करने वाले हैं अथवा नवमें भव पूर्व ऐशान स्वर्ग में ललितांग देव थे, इसलिए आपको नमस्कार हो। आप धर्मरूपी तीर्थ को प्रवर्ताने वाले ऐश्वर्यशाली ‘वज्रजंघ’ हैं-वज्र के समान मजबूत जंघाओं को धारण करने वाले हैं अथवा आठवें भवपूर्व ‘वज्रजंघ’ नाम के राजा थे, इसलिए आपको नमस्कार हो। आप ‘आर्य’-पूज्य हैं अथवा सातवें भवपूर्व भोगभूमिज आर्य थे इसलिए आपको नमस्कार हो। आप दिव्य ‘श्रीधर’-उत्तम शोभा से युक्त हैं अथवा छठे भवपूर्व ‘श्रीधर’ नाम के देव थे इसलिए आपको नमस्कार हो। आप ‘सुविधि‘-उत्तम भाग्यशाली हैं अथवा पाँचवे भवपूर्व सुविधि नाम के राजा थे इसलिए आपको नमस्कार हो। आप ‘अच्युतेन्द्र’-अविनाशी स्वामी हैं अथवा चौथे भवपूर्व अच्युत स्वर्ग के इन्द्र थे, ऐसे आपके लिए नमस्कार हो। आप ‘वज्रनाभि‘-वज्र के समान नाभि और सारे शरीर को धारण करने वाले हैं अथवा तीसरे भवपूर्व वज्रनाभि नाम के चक्रवर्ती थे ऐसे आपको नमस्कार हो। आप ‘सर्वार्थसिद्धि के नाथ’ अर्थात् सब पदार्थों की सिद्धि के स्वामी हैं अथवा दूसरे भवपूर्व आप सर्वार्थसिद्धि विमान में अहमिंद्र थे ऐसे आपको नमस्कार हो। हे नाथ! आप ‘दशावतारचरम’ अर्थात् सांसारिक पर्यायों में अंतिम अथवा ऊपर कहे हुए महाबल आदि दश अवतारों में अंतिम शरीर को धारण करने वाले नाभिराज के पुत्र ‘ऋषभदेव’ हुए हैं इसलिए आपको नमस्कार हो।
 
Tags: Tirthankar Parichay
Previous post चौबीस तीर्थंकरों के पूर्व भव के नाम आदि! Next post अंतिमतीर्थंकरभगवानमहावीर!

Related Articles

जैनधर्म के १३वें तीर्थंकर श्री विमलनाथ भगवान!

July 7, 2017aadesh

भगवान नेमिनाथ

May 3, 2013aadesh

भगवान श्रेयांसनाथ

February 17, 2017aadesh
Privacy Policy