

आध्यात्मिक महत्त्व – जहां जैन धर्मावलम्बी इसे भगवान महावीर के मोक्षदिवस के रूप में मनाकर निर्वाण लाडू चढ़ाते हैं, और चूंकि उसी दीपावली के दिन सायंकाल भगवान महावीर के प्रथम शिष्य गौतम गणधर को दिव्य केवलज्ञान की प्राप्ति हुई् अत: सायंकाल गौतम गणधर स्वामी, केवलज्ञान महालक्ष्मी की एवं सरस्वती माता की पूजा करते हैं तथा बही खाता आदि रखकर उस पर मंत्रोच्चारपूर्वक पूजन करते हैं, दीपमालिका सजाकर खुशियां मनाते हैं । वहीं हिन्दू लोग मानते हैं कि दीपावली के दिन भगवान राम १४ वर्ष का वनवास पूर्ण कर अयोध्या आए थे तब अयोध्यावासियों ने घी के दीप जलाए थे । सम्राट विक्रमादित्य का राज्याभिषेक दीपावली के दिन हुआ था अत: लोागों ने दीप जलाकर खुशियां मनाई थी, कुछ ऐसा भी मानते हैं ।