-आर्यिका चन्दनामती
गुरु अनुशासन करते हैं शिष्य परिपालन करते हैं यह गुरु शिष्य का पवित्र एवं सुखद संबंध तभी तक रहता है जब तक शिष्य अपने अस्तित्व को गुरु चरणों में समाहित करता है। किन्तु शनै: शनै: जब वह अपने अस्तित्व को पहचानने स्वयं लगता है तब उसके लिए अनुशासन पालन कुछ कठिन सा प्रतीत होने लगता है इसीलिए तो संसार में गुरु-शिष्य का पावन सम्बन्ध अब कुछ बदला-बदला सा लगता है गलती इसमें किसकी है पता नहीं कुछ चलता है।