Jambudweep - 7599289809
encyclopediaofjainism@gmail.com
About Us
Facebook
YouTube
Encyclopedia of Jainism
Search
विशेष आलेख
पूजायें
जैन तीर्थ
अयोध्या
अलोक :!
November 27, 2015
शब्दकोष
jambudweep
[[श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार]] ==
अलोक :
==
जीवाश्चैव अजीवाश्च, एष लोको व्याख्यात:। अजीवदेश आकाश: अलोक: स व्याख्यात:।।
—समणसुत्त : ६३६
यह लोक जीव और अजीवमय कहा गया है। जहाँ अजीव का एक देश (भाग) केवल आकाश पाया जाता है, उसे अलोक कहते हैं।
अवियारिऊण कज्जं सहसच्चिय चे नरा पयट्टन्ति। डज्झंति तेवराधा, दीवसिहाय पयंगो व्व।।
—गाहारयण : २५३
अविचारपूर्वक आवेश में सहसा जो काम करते हैं, वे दीपशिखा में पतंगे की तरह जल जाते हैं।
Tags:
Suktiya
Previous post
आत्मदर्शन :!
Next post
अर्हंत :!
Related Articles
परिग्रही :!
November 29, 2015
jambudweep
पदनिंदा :!
November 29, 2015
jambudweep
कवि!
November 28, 2015
jambudweep
error:
Content is protected !!