अर्थात् अंतर घटक, पदार्थ चाहे शाकाहारी घटकों से बना हो, दो अपेक्षित स्वाद, स्वरूप, गुणधर्म टिकाऊपन आदि प्रदान करने के लिए जो सैकड़ों प्रकार के Additves हैं, उनमें अनेकों का स्रोत मांसाहारी हैं। यूरोपियन कानूनों के तहत अंतर घटकों की पहचान हेतु नम्बर प्रदान किए गए हैं जिसे ई(E )के आगें लिखा जाता है। इस पद्धित को E-Numbering System(ENS)कहा जाता है । E- Number को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया गया है।
100 Colouring Agents 200 Conservation Agents 300 Anti-oxdants 400 Emulsifisr, Stabilizers and Thickner 500 Anti-Coagulants 600 Taste Enhansers 900 Modified Starches
यूरोपियन कानून के बाद ‘ग्लोबलायजेशन’ के चलते भारत में भी ENए प्रणाली लागू की गई जो शाकाहार प्रेमियों के लिए लाभ दायक साबित हो रही हैं। ऐसे अनेक है जिनका स्रोत प्राणीजन्य एवं वनस्पतिजन्य दोनों को हो सकता है।
कुछ ऐसे भी हैं जो सिर्फ प्राणीजन्य हैं। रासायनिक तथा वनस्पति पर प्रक्रिया करके प्राप्त करना कठिन एवं खर्चीला होता हैं। जबकि अंडा, मांस प्राणियों के शव / अवयवों से उसी Additives की प्राप्ति सहज और सस्ती होती हैं। कम लागत और अधिक मुनापे के चक्कर में अधिकतर उत्पादक प्राणीजन्य स्रोत का विकल्प चुन लेते हैं, जो प्रचुर मात्रा में प्राप्त करना उनके लिए कठिन नही होता।
उत्पादन प्रक्रिया के दौरान बहुत सारी रासायनिक प्रक्रियाओं से गुजरे होने के कारण उत्पादों के प्रयोग जांच में Additive का नाम तो खोजा जा सकता हैं किन्तु उनके स्रोत पाना अधिकतर इदद् Food Laboratory की क्षमता के बाहर है। यहॉ पर गंभीर विसंगति यह हैं कि उन्ही प्रयोगशालाओं के दम पर राज्य सरकारें इन उत्पादकों पर कानून के प्रावधानों के उल्लंघन की कार्रवाई करती है।
भ्रष्ट व्यवस्था की मिलीभगत से लालची उत्पादक धड़ल्ले से मांसाहारी अंतरघटकों का प्रयोग कर शाकाहारी ग्राहकों को लुभाने के लिए हरा निशान लगाकर करोंड़ों भोले लोगो की भावनाओं से खिलवाड़ करते है। बेबस कानून में यह ताकत नहीं कि वह उन्हें रोक सके।
संदेह होता है कि संभवत: यही कारण है कि सरकार भी जानबूझकर प्रयोगशालाओं को परिपूर्ण नहीं बना रही है। सूचना अधिकार के तहत नये सिरे से केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा हैदराबाद व मैसूर की प्रयोगशालाओं में विस्तृत खोजबीन से युक्त आधार देकर जानकारी मांगी गई हैं। यह सारी प्रक्रिया बहुत समय लेने वाली हैं।
अत: जब तक हम हमारे लक्ष्य तम नहीं पहुचे तब तक शाकाहार प्रेमीयों की सुविधा के लिए E-Number दे रहे हैं। उत्पादों पर अत्यंत छोटे अक्षरों में लिखा जॉच पड़ताल कर ही प्रयोग रोकने का उपभोक्ता स्वयं निर्णय करें।
Animal Derived (प्राणीजन्य स्रोत) E-१२०, E-१५३ E-४२२, E-४४१, E-४४२, E-४७१, E-४७६ E-४८५ , E-४८८ E-५४२ D-६२६,E-६३१, E-६३५ E-९०४, E-९१०,E-९२०, E-९२१, E-११००, E-११०१, E-११०५ Possibly Animal Derived (संभवत: प्राणीजन्य स्रोत) E-२५२ , E-२७०, E-३१९, E-३२२, E-३२५, E-३२६, E-३२७, E-३३०, E-३३५, E३३६ E-३३०, E-४३१, E-४३२, E-४३३ E-४३४ E-४३५, E-४३६ E-४७०, E-४७०, E-४७२, E-४७२, E-४७२, E-४७२, E-४७२, ४D-४७२ E-४७३, E-४७४, E-४७५, E-४७६, E-४७७, E-४७८, E-४७९, E-४८०, E-४८१, E-४८२, E-४८३, E-४९१, E-४९२, E-४९४, E-४९५, E-५७०, E-५७२, E-५८५,E-६२६, E-६२७, E-६२८, E-६२९, E-६३०, E-६३२, E-६३३, E-६३४, E-६३५, E-६४०
जिन हरे निशान वाले पैकिट खाद्य उत्पादकों पर उपरोक्त में से कोई भी E Number हैं तो उसे फिलहाल मांसाहारी श्रेणी में रखकर तत्काल प्रयोग रोकने का अनुरोध है। इसके अलावा निम्न E Number ऐसे है जो प्राणी जन्य तो नहीं किंन्तु बच्चों के स्वास्थ्य के लिए विशेष हानिकारक है।
स्वास्थ्य दृष्टि से त्याग करना बेहतर है। Specifically harmful to childern विशेष रूप से बच्चों के लिए हानिकारक E-१०२, E-१०४, E-१०७, E-११०, E-१२०, E-१२२, E-१२३, E-१२४, E-१२८, E-१३१, E-१३२, E-१३३, E-१५१, E-१५४, E-१५५, E-१६०, E-२१०, E-२१२, E-२१३, E-२१४, E-२१५, E-२१६, E-२१७, E-२१८,E-२१९, E-२५०, E-२५१, E-२९६ अंत में निवेदन यही है कि हमारा जैनत्व सुरक्षित रखने हेतु इस अभियान में सक्रियता से सहभागी बने मांसाहारी पदार्थ किसी भी रूप में हमारे घर में प्रवेश न कर पायें।
इस संकल्प के साथ इस अभियान को बल प्रदान करें। दिगम्बर जैन/श्वेताम्बर जैन मंदिर, स्थानक आदि सार्वजनिक स्थानों पर इस जानकारी की प्रतियां लगाकर, अखबार/पत्रिकाओं में प्रकाशित कर घर-घर प्रत्येक सदस्य तक अभियान का संदेश पहुचाने का विनम्र अनुरोध है