अण्डाहार: धर्मग्रन्थ और विज्ञान सारांश वैज्ञानिक दृष्टि से अण्डाहार के दुष्प्रभावों की विवेचना के उपरान्त यह प्रतिपादित किया गया है कि अण्डाहार को शाकाहार बताना महज एक दुष्प्रचार है। आलेख में विभिन्न धर्मो में अण्डाहार के निषेध के प्रमाण भी प्रस्तुत किये गये हैं अण्डा मांसाहार के समान हानिकारक डॉ. हेग ने लिखा है कि…
जैन धर्म में अहिंसा का स्वरूप डॉ. अनुभा जैन (संस्कृत) यमुना नगर, हरियाणा प्रत्येक धर्म में अहिंसा की बहुत महिमा है परन्तु जैन अहिंसा सैद्धान्तिक दृष्टि से सारे धर्मों की अपेक्षा असाधारण रही है। जैन दर्शन में अहिंसा का सर्वोत्तम स्थान है। प्रकृति में सब जीवों का अपना—अपना विशेष महत्व है।जैन धर्म उन सब जीवों…
मांस निर्यात करना , राष्ट्रीय चिन्ह का अपमान है प्राकृतिक व्यवस्था को रोकना डेंजर (खतरा) है , प्रकृति को मत रोकिए यदि तुमने प्रकृति को रोकना चाहा तो समझ लो तुम्हारा जीवन खतरे में है। आज हमने प्रकृति से छेड़छाड़ करके अनेक खतरे पैदा कर लिये हैं, हमने नदियों को रोक लिया बांध बना लिया,…
महावीर की अहिंसा का सिर्फ स्वाद लिया है मैंने —महात्मा गाँधी ‘अहिंसा परमोधर्म:’ से भारी शोध दुनिया में दूसरा नहीं है । जब तक हम संसार के व्यवहार में रहते हैं और हमारी आत्मा का व्यवहार शरीर से रहता है, तब तक कुछ—कुछहिंसा हम से होती ही रहती है । पर, जिस िहसा…
भारत सरकार-मांस व्यापार दशा और दिशा भारत सरकार के खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय का मांस और पॉल्ट्रीविभाग का विजन प्रपत्र २०१५ मेरे सामने रखा हैं योजना आयोग में ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना (वर्ष २००७-२०१२) के एनीमल एसब्रेंडरी के वर्किंग ग्रुप के २३२ पृष्ठीय विशाल रिपोर्ट की प्रति भी मेरे सामने रखी है। मैंने अभी इसका पुन: गंभीरता…
भारतीय अर्थतंत्र की रीढ़ — गाय आज यत्र—तत्र—सर्वत्र शाकाहार की चर्चा है किन्तु धर्मप्राण देश भारत, जहां की संस्कृति में गाय को माता तुल्य आदर प्राप्त है, वहां मांसाहार तथा मांसनिर्यात हेतु गो हत्या अत्यन्त शर्मनाक है। अहिल्या माता गोशाला जीव दया मण्डल ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस निबन्ध प्रतियोगिता में सम्पूर्ण देश से ५६…
बच्चों को करुणा कैसे सिखाएं निर्मल निश्चित वर्तमान में विश्व मेंहिंसा और विध्वंस का जो ज्वार उमड़ पड़ा है, उसे रोकने व उससे वापस मुड़ने की कोई कार्यवाही यदि है तो वह है, कैसे भी करके भावी पीढ़ी के लिए ऐसी परिस्थिति का निर्माण करें कि वह प्राणियों के शोषण से मुक्त रहे। इसीलिए…