१. परम अध्यात्म—तरंगिणी,
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२. सागार—धर्मामृत, |
३. नारी चातुर्य, | ४. अनगार धर्मामृत, |
५. महावीर और उनका सन्देश,
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६. नय विवक्षा, |
७. पार्श्वनाथ पंचकल्याणक, | ८. पंचकल्याणक क्यों किया जाता है, |
९. प्रणामाञ्जलि, |
१०. दश धर्म,
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११. प्रतिक्रमण, | १२. मेरा चिन्तवन, |
१३. नैतिक शिक्षाप्रद कहानियाँ भाग—दस, | १४. षट्प्राभृत (हिन्दी अनुवाद), |
१५. मोक्ष की अमरबेल रत्नत्रय,
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१६. राजर्वाितक, |
१७. नारी का चातुर्य, | १८. आचारसार, |
१९. लघु प्रबोधिनी कथा, | २०. रत्नत्रयचन्द्रिका । |
इन्दौर, | कचनेर, |
कन्नड़, | कारंजा, |
सज्जनगाँव, | झालरापाटन, |
रामगंजमण्डी, | नैनवां सवाई—माधोपुर, |
नागौर, | सुजानगढ़, |
नरायना, | दूदू, |
मौमजाबाद, | केबड़ी, |
टोडारायिंसह, | मदनपुरा, |
जयपुर |
१. आचार्यश्री वीरसागर महाराज की पूजन, | २. संस्कृत शान्तिनाथ स्तोत्र, |
३. जीवन्धर की वैराग्य वीणा, | ४. चिन्तामणि पार्श्वनाथ पूजा, |
५. सत् शिक्षा, | ६. पराक्रमी वरांग, |
७. लघु समाधि साधन, | ८. पंचाध्यायी, |
९. तत्त्वार्थसूत्र आदि। |
१. सन्मति सूत्र, | २. धर्मरत्नाकर, |
३. ध्यानकोष, | ४. आराधना समुच्चय, |
५. कम्मपयड़ि र्चूिण, | ६. पांच द्वात्रिशतिकायें, |
७. द्रव्य संग्रह, | ८. भक्तामरस्तोत्र, |
९. अभ्रदेवकृत श्रावकाचार, | १०. श्री योगदेव की सुखबोध तत्त्वार्थवृत्ति एवं भगवती आराधना। |