Jambudweep - 7599289809
encyclopediaofjainism@gmail.com
About Us
Facebook
YouTube
Encyclopedia of Jainism
Search
विशेष आलेख
पूजायें
जैन तीर्थ
अयोध्या
एक दीप से दीप अनेकों जला दिए हैं
December 17, 2017
कविताएँ
jambudweep
एक दीप से दीप अनेकों जला दिये है
पूज्य गणिनीप्रमुख ज्ञानमती माताजी।।
एक दीप से दीप अनेकों जला दिये है।
यह तो सिर्फ़ कुशल हाथो की ही महिमा है।।
तुमने ऐसा काम विश्व में है कर डाला।
ये मेरा ही नहीं सभी का ही कहना है।।
तेरे चेहरे पर ममता का है आकर्षण ।
जो भी देखे खिंचा चला आयेगा ये मन।।
तुमसे नारी जाति का मस्तक ऊँचा है।
तुमने इतने पौधों को कैसे सींचा है।।
यह तो एक कुशल शिल्पी ही कर सकता है।
नहीं आपसी होती सबमे ये क्षमता है।।
इतने फूल खिलाये जितने नभ में तारे ।
रहे आपका साथ सदा ये भाव हमारे ।।
यूँ ही हँसती और मुस्काती रहो सदा तुम।
नाम ज्ञानमती मॉ जैसा वैसे ही है गुण ।।
निरभिमानता देख आपकी मन हरषाया।
जितना सघन वृक्ष देता उतनी ही छाया ।।
Tags:
Jain Poetries
Previous post
भात परात भर! पंगत बारात भर
Next post
अनमेल संबंध
Related Articles
नाम का असर
October 26, 2014
jambudweep
रत्नों की खान-आर्यिका श्री रत्नमती माताजी
October 21, 2013
jambudweep
बेटियाँ
March 24, 2017
jambudweep
error:
Content is protected !!